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This Article is From Jul 25, 2023

राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं बॉलीवुड के 5 एक्टर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, देखें लिस्ट

Rajasthan And Bollywood : राजस्थान ने हिंदी सिनेमा को कई डायरेक्टर और प्रोड्यूसर दिए हैं. उनकी फिल्में आज भी हर किसी को पसंद आती हैं. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को काफी कुछ दिया है और उनकी अलग जगह बॉलीवुड में है.

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राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं बॉलीवुड के 5 एक्टर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, देखें लिस्ट
बॉलीवुड के 5 डायरेक्टर और प्रोड्यूसर, जिनका राजस्थान से है खास रिश्ता
नई दिल्ली:

राजस्थान और बॉलीवुड का गहरा कनेक्शन है. यहां से कई एक्टर और एक्ट्रेस अपनी एक्टिंग से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना अलग मुकाम बनाया है. कई सिंगर भी राजस्थान की आवाज दुनियाभर तक पहुंचा रहे हैं. वहीं, कुछ डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी राजस्थान की धरती से निकलकर फिल्म इंडस्ट्री तक पहुंचे और उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. इनमें असरानी से लेकर मणि कौल तक का नाम है. आइए जानते हैं...

असरानी (Asrani)

गोवेर्धन असरानी हिंदी सिनेमा के कॉमिक एक्टर हैं. उनका जन्म 1 जनवरी 1941 में पिंक सिटी जयपुर में हुआ था. चार बहनों और तीन भाई में से असरानी एक थे. जयपुर के सेंट जेवियर स्कूल से उनकी स्कूलिंग हुई और राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा कर बतौर रेडियो आर्टिस्ट काम किया. उन्होंने अब तक करीब 300 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्में की हैं. करीब 5 दशक के अपने करियर में उन्होंने करीब-करीब हर एक्टर के साथ फिल्म की है.

2. रामकुमार बोहरा (Ramkumar Bohra)

फेमस फिल्म मेकर, डायरेक्टर और एक्टर रामकुमार बोहरा भी राजस्थान की धरती से ही आते हैं. उनका जन्म 2 अगस्त, 1928 को जोधपुर में हुआ था. बड़े भाई श्रीराम के कहने पर वे घर से भागकर मुंबई आ गए और फिल्म बनाने में उनकी मदद करने लगे. मुंबई में दोनों भाईयों ने अपना उपनाम बोहरा से बदलकर वोरा कर लिया. 1951 में उनकी पहली फिल्म 'लचक' आई. यह फिल्म फ्लॉप हो गई और वे दिवालिया होकर सड़कों पर आ गए. लेकिन 1958 में दूसरी फिल्म 'अल-हिलाल' बनाई. इस फिल्म का गाना 'हमें तो लूट लिया' ने जबरदस्त महफिल लूटी और उनके करियर की गाड़ी चल पड़ी.

3. बासु चटर्जी (Basu Chatterjee)

10 जनवरी 1930 को राजस्थान के अजमेर शहर में जन्में हिंदी फिल्मों के जाने माने निर्देशक बासु चटर्जी उन चुनिंदा निर्देशकों में से थे, जिन्होंने मिडिल क्लास फैमिली की स्थिति को पर्दे पर दिखाया. उन्होंने कई टीवी सीरियल्स भी बनाए. ब्लिट्स पत्रिका में बतौर कार्टूनिस्ट अपने करियर की शुरुआत करने वाले बासु चटर्सी अजमेर में जरूर पैदा हुए लेकिन मथुरा में पले-बढ़े. पिता रेलवे में थे तो उनका ट्रांसफर होता रहता था.  बासु दा को बचपन से ही खेलने और सिनेमा देखने का काफी शौक हुआ करता था. करीब 7 साल की उम्र से ही वे बड़े भाई के साथ फिल्म देखने जाते. फिल्म डायरेक्शन में उनकी दिलचस्पी मुंबई आने के बाद हुई. मथुरा में स्कूल के उनके सीनियर रहे कवि शैलेंद्र 'तीसरी कसम' नाम की फिल्म शुरू कर रहे थे, इसकी जानकारी लगते ही बासु दा उनसे जाकर काम करने की इच्छा जताई. उस फिल्म में उन्हें सीधे चीफ असिस्टेंट बनाया गया. इसके बाद उनके डायरेक्शन में पहली फिल्म 'सारा आकाश' बनी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में बनाई. अपनी बनाई फिल्मों में उन्होंने 'जीना यहां' फिल्म सबसे ज्यादा पसंद थी. 

4. चंद्रप्रकाश द्विवेदी (Chandraprakash Dwivedi)

26 फरवरी, 1960 में जन्में फिल्म डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी का कनेक्शन राजस्थान के सिरोही से है. वे पेशे से डॉक्टर द्विवेदी का मन हिंदी साहित्य में ही डूबा रहता था.यही वजह थी कि डॉक्टरी छोड़ उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत चमकाई. 1990 से 1992 तक 'चाणक्य' की पटकथा लिखी और इस पर नाटक बनाया. इसका डायरेक्शन और अभिनय दोनों उन्होंने खुद ही किया. इसके बाद उनके शोज 'मृत्युंजय', 'एक और महाभारत' और 'उपनिषद गंगा' खूब पसंद की गई. 2003 में आई बॉलीवुड फिल्म 'पिंजर' उन्हीं के डायरेक्शन में बनी है. अमृता प्रीतम के उपन्यास पर बेस्ड इस फिल्म में विभाजन के दौरान हिंदू-मुस्लिम तनाव के बीच एक दुखद प्रेम की कहानी पर्दे पर दिखाई गई. इसके बाद उन्होंने 'जेड प्लस', 'मोहल्ला अस्सी' जैसी फिल्में बनाई. उनकी हालिया रिलीज फिल्म 'पृथ्वीराज' है, जिसमें अक्षय कुमार ने काम किया है. 

5. मणि कौल (Mani Kaul)

इस लिस्ट में अगला नाम फिल्म डायरेक्टर मणि कौल का है, जो कश्मीरी पंडित थे, लेकिन उनका जन्म 25 दिसंबर, 1944 को राजस्थान के जोधुपर में हुआ था. उनका  असली नाम रबींद्र नाथ कौल था. पिता चाहते थे कि बेटा आईएएस अफसर बने लेकिन 17 साल की उम्र ही बेटा भागकर मुंबई पहुंच गया और फिल्म डायरेक्टर चाचा महेश कौल के पास रहने लगे. मणि कौल ने ज्यादातर ऐसी फिल्में बनाई जो मशहूर साहित्यकारों की कहानियों या नाटकों पर थी. उनकी पहली फिल्म 'उसकी रोटी थी. इसे बेस्ट फिल्म का फिल्मफेयर क्रिटिक अवॉर्ड भी मिला था. 'आषाढ़ का एक दिन' (1971), 'दुविधा' (1973) और 'इडियट' जैसी फिल्में बनाकर उन्होंने खूब नाम कमाया. ठुमरी सिंगर सिद्धेश्वरी देवी पर बनाई गई उनकी डॅाक्यूमेंट्री को नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था. वे उस स्ट्रीम के फिल्मकार थे, जिन्हें पेरेलल सिनेमा कहा गया.

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