Jawai Leopard Conservation: बॉलीवुड के सबसे हैपनिंग कपल कैटरीना और विक्की कौशल इन दिनों राजस्थान के सैर पर हैं. वे मरुधरा के धोरों के बीच अपनी शादी की सालगिरह मना रहे हैं. दोनों ने अपनी शादी की तीसरी सालगिरह मनाने के लिए यहां आने और दो दिन होटल में रुकने का फैसला किया था. इससे पहले दोनों न्यू ईयर मनाने इसी होटल में आए थे. जवाई लेपर्ड एरिया शांत और प्राकृतिक सुंदरता से चारों ओर से घिरा हुआ है. यहां लेपर्ड सफारी भी की जा सकती है. खुले में घूमते तेंदुओं को देखने और शांत माहौल में रहने के लिए हर साल कई हस्तियां इस क्षेत्र में आती हैं. इसीलिए इस बार कैटरीना और विक्की ने भी इसी जगह को चुना है.
जवाई हिल्स को कहा जाता है तेंदुओं का घर
जवाई हिल्स राजस्थान के पाली जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत और शांत जगह है, जो जवाई बांध, लूनी नदी के किनारों और बड़ी-बड़ी पहाड़ियों और घाटियों से घिरी हुई है. जवाई की ये पहाड़ियां लाखों साल पहले लावा से बनी थीं, जिनकी प्राकृतिक गुफाओं में आज भी कई तेंदुए और भारतीय धारीदार लकड़बग्घे के साथ-साथ अन्य पशु-पक्षी रहते हैं. लेकिन यह सबसे ज़्यादा यहां रहने वाले तेंदुओं के लिए मशहूर है. इसीलिए इसे 'तेंदुओं का घर' भी कहा जाता है.
60 से 65 है पैंथर की संख्या
जवाई में स्थित बेरा गांव की पहाड़ियों को पैंथर हिल्स या 'लैपर्ड हिल्स ऑफ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है. अरावली पहाड़ियों और जवाई नदी से घिरा यह छोटा सा गांव पैंथर के लिए एक अच्छी जगह है. यह 60 से 65 पैंथरों का घर है.
अक्टूबर से फरवरी का समय सबसे अच्छा
इसके अलावा अगर आप भी विक्की कौशल और कैटरीना कैफ की तरह जवाई आकर पैंथर्स देखना चाहते हैं और लेपर्ड सफारी का रोमांच उठाना चाहते हैं तो आपको यहां अक्टूबर से फरवरी के बीच आना चाहिए क्योंकि इस समय यहां बहुत ठंड होती है. इस वजह से पैंथर अपनी गुफाओं से बाहर निकलकर चट्टानों और पहाड़ियों पर धूप सेंकने निकल जाते हैं, जिससे उन्हें देखने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है.
पैंथर सफारी का लें मज़ा
जवाई में आकर आप कभी भी पैंथर सफारी कर सकते है जो कि आपको अलग अलग रिसोर्ट या कैम्पस के जरिए करवायी जाती है. यहां आपको तेंदुओ को करीब से देखने को मिलता है. भारत के बाकी वनों में, आपको बड़े घने जंगल देखने को मिलते हैं, जहां तेंदुओ को ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन यहां, आप उन्हें आसानी से इन्हें देख सकते हैं क्योंकि ये हमेशा चट्टानों पर बैठे रहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जिसे जवाई मे आकर भी तेंदुआ नहीं दिखा तो फिर तो उसे दिखना ही नहीं था.