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This Article is From Jul 07, 2023

कभी पार्टियों में गाकर करते थे गुजारा, फिर गजल सम्राट कहलाए जगजीत सिंह

जगजीत सिंह के संघर्ष की बात करें तो मुंबई आने पर उनको हाथों हाथ काम नहीं मिला. उन्हें पेइंग गेस्ट के तौर पर रहना पड़ा और इसका किराया चुकाने के लिए वो शादियों में गाया करते थे.

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कभी पार्टियों में गाकर करते थे गुजारा, फिर गजल सम्राट कहलाए जगजीत सिंह
गायकी के शिखर पर पहुंचें लेकिन जवान बेटे की मौत से टूट गए थे जगजीत सिंह
नई दिल्ली:

गजल सम्राट कहे जाने वाले जगजीत सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी गाई हुईं गजलें और फिल्मी गाने आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. जगजीत सिंह पहले गायक थे जिन्होंने गजलों को आम आदमी के दिल में उतार दिया. जगजीत सिंह का नाम भारत के लोकप्रिय गजल गायकों में शुमार है और उनको पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 8 फरवरी 1941 को हुआ. उनके पिता का नाम अमर सिंह धमानी था जो सरकारी नौकरी करते थे. बचपन में जगजीत सिंह को जीत कहकर पुकारा जाता था.

पिता चाहते थे बेटा IAS बने 

अपनी प्राइमरी एजुकेशन गंगानगर में करने के बाद जगजीत सिंह जालंधर आ गए और वहां से उन्होंने बैचलर डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. जगजीत सिंह को बचपन से ही गाने का शौक था और इसलिए उनके परिवार ने उनको गंगानगर में ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलवाई. जगजीत सिंह के पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह सरकारी नौकरी करे और आईएएस या इंजीनियर बने लेकिन जगजीत सिंह ने तो बचपन से ही अपने मन में सिंगर बनने का सपना बुन लिया था. कुरुक्षेत्र में अपने प्रोफेसर की सलाह पर जगजीत सिंह मुंबई चले आए और यहां से शुरू हुआ उनके संघर्ष का सिलसिला. 1967 में जगजीत सिंह की पहली मुलाक़ात सिंगर चित्रा से हुई. दोनों ही इंडस्ट्री में जमने की कोशिश कर रहे थे. दो साल के साथ के बाद दोनों ने 1969 में शादी कर ली. 

शादी पार्टियों में गाए गाने 

जगजीत सिंह के संघर्ष की बात करें तो मुंबई आने पर उनको हाथों हाथ काम नहीं मिला. उन्हें पेइंग गेस्ट के तौर पर रहना पड़ा और इसका किराया चुकाने के लिए वो शादियों में गाया करते थे. इसके अलावा फिल्मी पार्टियों में भी गाकर उन्होंने अपना गुजारा किया. कुछ समय बाद उनको विज्ञापनों के जिंगल मिलने लगे. वो छोटी मोटी पार्टियों में गाते और समारोह में भी शिरकत करते. जगजीत ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत 1994 में फिल्म 'अविष्कार' के गाने 'बाबुल मोरा नैहर' से की थी. वहीं, उनकी पहली एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' साल 1976 में आई थी, जो बहुत हिट साबित हुई. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

बेटे की मौत से टूट गए थे ग़ज़ल सम्राट 

जगजीत सिंह को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उनके इकलौते बेटे की सड़क हादसे में मौत हो गई. इसके बाद जगजीत सिंह इतना टूट गए कि वो करीब 6 महीने तक संगीत से दूर रहे. उनकी पत्नी ने तो गाना ही छोड़ दिया था और वो भी काफी समय तक इस सदमे से बाहर नहीं आ पाए. कहा जाता है कि जगजीत सिंह ने अपना लोकप्रिय गाना चिट्ठी ना कोई संदेश..अपने बेटे की याद में ही गाया था. इस हादसे के बाद इस जोड़े को संभलने में काफी साल लगे लेकिन जगजीत सिंह ने ना केवल पत्नी का हौंसला बढ़ाया बल्कि अपनी भी संगीत की यात्रा को फिर से शुरु किया. 

ऐसा रहा जगजीत सिंह का करियर 

जगजीत सिंह की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो उनको पहली सफलता 1977 में मिली जब इनका और चित्रा सिंह का एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' चल निकला. इसके बाद उनको इंडस्ट्री में अच्छी खासी पहचान मिली. इसके बाद ये जोड़ी देश विदेश में गजल कॉन्सर्ट करने लगी. 1980 आते आते जगजीत सिंह देश और विदेश के गजल सम्राट बन चुके थे. स्टेज पर भी इनके कई सारे प्रोग्राम होने लगे. फिल्म सरफरोश में गाया गाना होश वालों को खबर क्या..भी काफी पॉपुलर हुआ. जगजीत सिंह ने प्रेम गीत, जॉगर्स पार्क, अर्थ, जिस्म, दुश्मन, सरफरोश और तुम बिन जैसी फिल्मों में दिल को छू लेने वाले गाने गाए जो आज भी गुनगुनाए जाते हैं. 10 अक्तूबर 2011 को सेलिब्रल हैमरेज की वजह से जगजीत सिंह की मुंबई के लीलावती अस्पताल में मौत हो गई.

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