दिल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. जन्म के पहले से ही दिल काम करना शुरु कर देता है. और ये तब तक काम करता है जब तक इंसान जीवित रहता है. एक मिनट के अंदर हमारा दिल 72 बार धड़कता है. और शरीर के लिए ब्लड पंप करता है. हर मिनट हमारा दिल साढ़े पांच लीटर खून पंप करता है. इससे आप हिसाब लगा सकते हैं कि 24 घंटे, 365 दिन और पूरी लाइफ में दिल कितना ब्लड पंप करता होगा. ऐसा कोई इंजन शायद सारे इंजीनियर्स मिलकर भी कैसे बना पाएंगे.
अब जानते हैं दिल में होने वाली समस्याओं के बारे में. दिल जिन तीन सबसे आम समस्याओं का सामना करता है वो हैं हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और कार्डिएक अरेस्ट. अगर आप ये सोचते हैं कि ये तीनों ही एक हैं, तो जरा ठहरिए. अरे भई अगर ये एक होते तो तीन अलग नाम क्यों होते. तो चलिए क्या हैं ये तीनों और इनके फर्क को कैसे पहचाने जानते हैं एक्सपर्ट से.
जानें हार्ट अटैक और हार्ट फेल होने में क्या है अंतर । Heart Attack and Heart Failure Differences
हार्ट अटैक (Heart Attack)
दिल का दौरा वह स्थिति है जब धमनियों में प्लाक के कारण हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है. इस अवरुद्ध या रुकावट को दूर करने और रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए पीड़ितों को एंजियोप्लास्टी या सर्जरी की जरूरत होती है.
इसके लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और दिल के दौरे के कई दिनों बाद भी बने रहते हैं. दिल का दौरा पड़ने पर भी दिल धड़कता रहता है, लेकिन रुकावट के कारण उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है.
हार्ट फेल (Heart failure)
दूसरी ओर हार्ट फेल्यर (दिल का कमजोर हो जाना) भारत में महामारी की तरह फैलता जा रहा है जिसकी मुख्य वजह दिल की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना है. विशेषज्ञों ने कहा कि अब तक हार्ट फेल्यर की समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. इसलिए लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते थे. आम तौर पर लोगों ने हार्ट फेल्यर को अमूमन हार्ट अटैक ही समझ लिया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिल भी बूढ़ा और कमजोर होने लगता है और उसके फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है. लाइफस्टाइल और खानपान में आए बदलावों की वजह से न सिर्फ उम्रदराज बल्कि कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं.
हार्ट फेल्यर को समझना जरूरी है, अक्सर लोगों को लगता है कि हार्ट फेल्यर का मतलब दिल का काम करना बंद कर देने से है जबकि ऐसा कतई नहीं है. हार्ट फेल्यर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता. इससे ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है. कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सी ए डी), हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट वॉल्व बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज, मोटापा, शराब पीने, दवाइयों का सेवन और फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है.
हार्ट फेल के लक्षण (Symptoms of Heart Failure)
- सांस लेने में तकलीफ,
- थकान,
- टखनों, पैरों और पेट में सूजन,
- भूख न लगना, अचानक वजन बढ़ना,
- दिल की धड़कन तेज होना,
- चक्कर आना और बार-बार पेशाब जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं.
बचाव के उपाय
लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज न करने और समय रहते बीमारी का पता लगा कर इलाज शुरू करने और लाइफस्टाइल में बदलाव से इस बीमारी का खतरा दूर हो सकता है.
सबसे जरूरी बात
दिल की सेहत के लिए सबसे जरूरी हेल्थ टिप है स्मोकिंग से छुटकारा. विशेषज्ञों के अनुसार धूमपान करने से हृदय में कोलेस्ट्रॉल जमने का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है. जो बाद में है धमनियों पर थक्के के रूप में जमा हो जाता है. धीरे-धीरे हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि कोलेस्ट्रॉल की लेयर फट जाती है. बाद में यही हृदयाघात की वजह बनता है. तो हेल्दी हार्ट की आज की सलाह या नसीहत यही है कि धूम्रपान की आदत न ड़ालें और अगर आपको ये आदत है, तो जल्दी से जल्दी छोड़ें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.