
Rajasthan DGP Rajeev Sharma: राजस्थान के नए डीजीपी राजीव कुमार शर्मा पदभार संभालते ही दूसरे दिन राजस्थान हाई कोर्ट में पेश हुए. वहीं राजस्थान हाई कोर्ट ने नाबालिगों की गुमशुदगी से जुड़े मामलों में पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने नव नियुक्त डीजीपी राजीव शर्मा को तलब करते हुए कहा कि आज भी राज्य की पुलिस पुराने तौर-तरीकों से काम कर रही है जिससे बच्चों की बरामदगी में देरी हो रही है.
जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर मामले में पुलिस का यही तर्क होता है कि मोबाइल बंद है इसलिए ट्रेस नहीं हो पा रहा. लेकिन आज के बच्चे जानते हैं कि मोबाइल कब ऑन करना है और कब ऑफ. पुलिस को सिर्फ मोबाइल लोकेशन तक सीमित नहीं रहना चाहिए उसे नई तकनीकों पर गंभीरता से काम करना होगा.
2 साल गायब बच्चे का केस 6 साल बाद सुन रहे हैं- कोर्ट
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब किसी नाबालिग की लोकेशन राज्य के बाहर ट्रेस होती है तो राजस्थान पुलिस टीम भेजने में देर कर देती है. ऐसे मामलों में स्थानीय राज्य की पुलिस से तुरंत संपर्क कर, वहीं की टीम से कार्रवाई करवानी चाहिए. आरोपी आपके पहुंचने का इंतजार नहीं करेगा.
डीजीपी राजीव शर्मा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ अन्य तकनीकी माध्यमों से भी गुमशुदा बच्चों की बरामदगी का प्रयास कर रही है. हम लगातार मॉडर्न टेक्नोलॉजी को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.
इस पर कोर्ट ने उम्मीद जताई कि डीजीपी राजीव शर्मा के कार्यकाल में पुलिस की कार्यप्रणाली में तकनीकी बदलाव आएगा और इससे कोर्ट के सामने आने वाली याचिकाओं की संख्या में कमी आ सकेगी. सुनवाई के दौरान सीकर के खाटूश्यामजी से मई 2025 में लापता युवक के मामले में भी सुनवाई हुई. सीकर एसपी कोर्ट में पेश हुए और बताया कि आरोपी पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए राजी है. इस पर कोर्ट ने पुलिस को 10 दिन में रिपोर्ट जमा कराने के निर्देश दिए. वकील सैयद सआदत अली ने बताया कि जयपुर के रामगंज इलाके से 6 फरवरी को लापता हुई एक नाबालिग का आज तक कोई सुराग नहीं लग पाया है जबकि परिवार ने नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए पुलिस से जवाब तलब किया है.