Rajasthan News: भारत के 84 प्रतिशत से अधिक जिलों के भीषण हीटवेव से प्रभावित होने की संभावना है और 70 फीसदी जिलों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है. इसका खुलासा स्वतंत्र विकास संगठन आईपीई ग्लोबल लिमिटेड और एस्री इंडिया टेक्नोलॉजिस द्वारा तैयार की गई ‘गर्म होते जलवायु में मानसून का प्रबंधन' रिपोर्ट में हुआ. इसमें बताया गया है कि देश में मानसून (जून-सितंबर) के दौरान गर्मियों जैसी स्थिति बनी हुई है.
10 में से 8 भारतीय होंगे प्रभावित
आईपीई ग्लोबल लिमिटेड में जलवायु परिवर्तन और ‘सस्टैनबिलिटी प्रैक्टिस' के प्रमुख और अध्ययन के लेखक अविनाश मोहंती ने कहा कि उनका विश्लेषण संकेत देता है कि 2036 तक 10 में 8 भारतीय प्रतिकूल मौसमी घटनाओं से प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि इंडियन एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री और व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से बचाने के लिए अति-विस्तृत जोखिम आकलन को अपनाना और जलवायु-जोखिम वेधशालाओं की स्थापना करना शीर्ष राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए.
1998 के बाद 2015 सबसे घातक वर्ष
रिपोर्ट कहती है कि 2012-22 के दशक में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और त्रिपुरा हीटवेव से सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्य थे. इसमें कहा गया है कि तटीय क्षेत्रों के 74 प्रतिशत जिले, मैदानी क्षेत्रों के 71 फीसदी जिले तथा पहाड़ी क्षेत्रों के 65 प्रतिशत जिले भीषण हीटवेव से प्रभावित रहे. रिपोर्ट के मुताबिक, मैदानी और पहाड़ी जिलों में 2013-22 के दशक के दौरान हीट वेव दिनों की संख्या में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि तटीय जिलों में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. इस अवधि में 2015 में सबसे ज्यादा भीषण गर्मी पड़ी थी जो 1998 के बाद दूसरी सबसे घातक वर्ष था. विश्लेषण से पता चला कि मार्च-मई के बीच की अवधि और उसके बाद जून-सितंबर के बीच की अवधि के दौरान, मैदानी इलाकों के जिलों में अधिकतम हीटवेव दिवस दर्ज किए गए.
10 सालों में गर्मी से 10635 लोगों की मौत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 10 वर्षों में भारत में भीषण और हीट स्टॉक के कारण 10,635 लोगों की जान गई. इस अवधि में सबसे ज्यादा 2203 मौतें आंध्र प्रदेश में हुई. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 1,485, तेलंगाना में 1,172, पंजाब में 1,030, बिहार में 938, महाराष्ट्र में 867, ओडिशा में 609, झारखंड में 517, हरियाणा में 461, पश्चिम बंगाल में 357, राजस्थान में 345, गुजरात में 263 और मध्य प्रदेश में 213 लोगों की मौत हुई. दिल्ली में इस दौरान भीषण गर्मी से 13 लोगों की मौत हुई. इस 2013-22 के बीच की अवधि में सबसे ज्यादा मौतें 2015 में दर्ज की गईं, जब 1908 लोगों की मौत हुई थी.
वर्ष 2024 में हीट स्टॉक से 143 मौतें
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, इस साल भारत में हीटवेव दिवस ने 14 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 1901 के बाद सबसे गर्म जून दर्ज किया गया. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2024 में हीट स्टॉक के 41,789 संदिग्ध मामले सामने आए और गर्मी के चलते 143 लोगों की मौतें दर्ज की गईं.