Rajasthan News: विश्व विरासत चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर बने विजय स्तम्भ (Vijay Stambh) नौ मंजिला है. इस विजय स्तम्भ को राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) और माध्यमिक शिक्षा विभाग (Secondary Education Department) ने प्रतीक चिन्ह के रूप में अपनाया है. यह स्तम्भ 122 फिट ऊंचा है. इस पर चढ़ने के लिए 157 सीढ़ियां बनाई गई हैं. दूर से देखने पर इसका आकार भगवान शिव के डमरू के समान दिखाई देता है.
शिव के डमरू जैसा आकार
विजय स्तम्भ महाराणा कुम्भा ने 1448 ईस्वी में बनाया था. महाराणा कुम्भा ने महमूद खिलजी पर जीत की खुशी में इस बनवाया था. 122 फीट ऊंचा और 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है. स्तम्भ का निर्माण राणा कुम्भा अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया था. इस स्तम्भ के आंतरिक व बाहरी भागों पर भारतीय देवी देवताओं की जीवन्त मूर्तियों को अति कुशल वास्तुकारों द्वारा उकेरा गया है.
प्रवेश द्वार पर लगा है ताला
नौ मंजिला विजय स्तम्भ के आन्तरिक तथा बाह्य भागों पर भारतीय देवी-देवताओं, अर्द्धनारीश्वर, उमा-महेश्वर, लक्ष्मी नारायण, ब्रह्मा, सावित्री, हरिहर, पितामह विष्णु के विभिन्न अवतारों तथा रामायण एवं महाभारत के पात्रों की सैंकड़ों मूर्तियां उत्कीर्ण हैं. विजय स्तम्भ का वर्तमान में प्रवेश बन्द कर रखा हैं. कोरोना काल में आएं पुरातत्व विभाग के आदेश के बाद विजय स्तम्भ पर प्रवेश द्वार पर ताला लगा दिया था जो आज तक नहीं खुल सका. पहले इस विजय स्तम्भ में पर्यटक प्रवेश करते थे और किले व शहर का अबाधित दृश्य अपने कैमरे में कैद करते और देखते भी थे. इस स्तम्भ को राजस्थान पुलिस एवं राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने प्रतीक चिन्ह के रूप में अपनाया है. कई लोग अपने कारोबार की फर्म के नाम लोगों में भी विजय का प्रतीक विजय स्तम्भ को लगाते हैं.
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