
Gangapur First Girl School: राजस्थान का इतिहास अपने भीतर कई ऐसी अनमोल कहानियों को समेटे हुए है, जो उस समय के शासकों की दूरदर्शिता और नीतियों की गवाही देती हैं. आजादी से पहले के दौर में भी, शिक्षा को लेकर यहां गंभीरता से काम किया गया. तत्कालीन राजाओं ने ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर कई अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की स्थापना की, ताकि शिक्षा को बढ़ावा मिल सके.
गंगापुर सिटी में खुला था पहला सरकारी स्कूल
इसी कड़ी में, जयपुर रियासत ने 1899 में गंगापुर में पहला सरकारी स्कूल खोला. यह स्कूल इंग्लिश मीडियम था और इसकी स्थापना शहर के बीचोबीच कैलाश टॉकीज के पास की गई थी. जो आज भी उसी जगह अपनी ऐतिहासिक धरोहर के साथ मौजूद है. प्रसिद्ध हास्य कवि और इतिहासविद गोपीनाथ चर्चित ने अपनी किताब "हमारा गंगापुर" में इस ऐतिहासिक धरोहर का जिक्र किया है.
पुरुषों के वर्चस्व के बीच पहली महिला शिक्षिका
शुरुआती दौर में सरकारी स्कूलों में केवल मेल शिक्षक ही हुआ करते थे. लेकिन 1930 में, गंगापुर में पहला गर्ल्स सरकारी स्कूल खोला गया, जो मुनीमों की हवेली में चलाया जाता था. उस समय इसमें लगभग पचास लड़कियां पढ़ने आती थीं. इस स्कूल की खासियत यह थी कि यहां केवल फिमेल टीचर्स ही पढ़ाती थीं.
समय के साथ बदलता रहा स्कूल का नाम
इस स्कूल का शुरुआती नाम "वर्नाक्यूलर प्राइमरी स्कूल" था. समय के साथ, शिक्षा के स्तर में तरक्की होने पर इसका नाम भी बदलता रहा. 1921 में यह "वर्ना क्यूलर मिडिल स्कूल" बना और 1943 में इसका नाम बदलकर "एंग्लो वर्ना क्यूलर" कर दिया गया.
षट्कोण आकार में बनी हुई है स्कूल की इमारत
इस स्कूल की इमारत की एक और खास बात यह है कि इसका एक कोना षट्कोण आकार में बना हुआ है, जबकि इमारतें आमतौर पर आयताकार होती हैं. इतिहासविद गोपीनाथ बताते हैं कि उस समय स्कूल के पास ही बस स्टैंड हुआ करता था, जहां से जयपुर के लिए बसें चलती थीं. बसों को घुमाने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए इसके कोने को घुमावदार बनाते हुए षट्कोण का आकार दिया गया था.
सैकड़ों साल बाद सदियों पुरानी धरोहर आज भी है मजबूत
आज भी इस ऐतिहासिक इमारत में 4 बड़े कमरे मौजूद हैं, जिनमें क्लासिस लगती हैं. सैकड़ों साल बाद भी ये कमरे मजबूती से खड़े हैं. इनमें लगे रोशनदान और खिड़कियां भी सही सलामत हैं, जो उस समय की निर्माण कला की गवाही देते हैं. स्कूल के अध्यापक जितेंद्र जैन ने बताया कि यहां आज भी उस समय का पंखा, टेबल और अलमारी मौजूद है, जो बेहद कम कीमत में खरीदी गई थी.
आजादी के बाद, जब छात्रों की संख्या बढ़ी और जगह कम पड़ने लगी, तो शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नई जगह पर हायर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की गई. वर्तमान में इस पुराने स्कूल को एक नए स्कूल में मिला दिया गया है, लेकिन आज भी इसे इसकी सबसे पुरानी स्थापना के कारण "नंबर एक स्कूल" के नाम से जाना जाता है.