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kolvi Caves: कोलवी को कहते हैं राजस्थान का एलोरा, पहाड़ियों से काटकर किया गया था निर्माण

Jhalawar kolvi Caves: झालावाड़ जिले से करीब 90 किलोमीटर दूर डग पंचायत समिति के हरनावदा ग्राम पंचायत के कोलवी गांव में बौद्धकालीन गुफाएं आज भी बेहद सुरक्षित तरीके से मौजूद हैं.

kolvi Caves:  कोलवी को कहते हैं राजस्थान का एलोरा, पहाड़ियों  से काटकर किया गया था निर्माण
kolvi Caves called Ellora of Rajasthan

kolvi Caves: झालावाड़ जिले को जहां प्रकृति ने अपनी विशेष मेहरबानियों से नवाजा है, वहीं यहां कई ऐसे पुरातात्विक स्थल भी हैं जो अपने आप में अनूठे माने जाते हैं. इसी कड़ी में जिले से करीब 90 किलोमीटर दूर डग पंचायत समिति के हरनावदा ग्राम पंचायत के कोलवी गांव में बौद्धकालीन गुफाएं आज भी बेहद सुरक्षित तरीके से मौजूद हैं.विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार इन गुफाओं का निर्माण 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच लैटेराइट पहाड़ियों को काटकर किया गया था.

कोलवी की गुफाएं

कोलवी की गुफाएं

चट्टानों को काटकर गया है बनाया

यह गुफाएं लगभग 2 हजार साल पुरानी है जो राजस्थान के झालावाड़ और आसपास के इलाके में बौद्ध सभ्यता का प्रमाण देती हैं. यहां पर पहले 50 गुफाएं थीं जिनमें से अब कुछ ही शेष रह गयी हैं. यह गुफाएं अश्व नाल प्रकार की हैं जिन्हें चट्टानों को काटकर बनाया गया है. इन गुफाओं में एक चैत्य कक्ष है जिसके अंदर ध्यान मग्न बुद्ध की प्रतिमा है. यहां पर बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए कमरे भी निर्मित हैं. जिनमें एक तरफ तकिए भी बने हुए हैं. इसके अलावा यहां पर अग्नि कुण्ड, बुद्ध की मूर्तियां, चक्र गंडिका स्तूप और चैत्य बने हुए हैं. 

चट्टानों को काटकर गया है बनाया

चट्टानों को काटकर गया है बनाया

बर्बाद हो रही है अमूल्य धरोहर

राजस्थान का पर्यटन विभाग कहता है "पधारो म्हारे देश". लेकिन सच तो ये है कि यहां झालावाड़ जिले में ये वाक्य महज एक मुहावरा ही लगता है, क्योंकि राजस्थान का एलोरा कही जाने वाली कोलवी गुफाएं इन दिनों बदहाल हैं. यहां आने वालों को न तो पीने का पानी मिलता है और न ही साफ-सफाई का कोई इंतजाम. इसके अलावा यहां असामाजिक तत्वों ने भी डेरा जमा रखा है. इनकी सुरक्षा के लिए कोई गार्ड तैनात नहीं है. इन गुफाओं की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर यहां घूमने आने वाले लोग उस वक्त काफी निराश हो जाते हैं, जब उन्हें यहां कोई उचित व्यवस्था नहीं मिलती. हालात ये हैं कि गुफाओं में शराब की बोतलें और कई तरह की आपत्तिजनक सामग्री मिलती रहती हैं, जिससे साफ पता चलता है कि जिम्मेदारों का यहां कोई ध्यान नहीं है और इस अमूल्य धरोहर को बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है.

बेहद खराब हो चुकी है हालत

बेहद खराब हो चुकी है हालत

कोलवी गुफाओं का हाल बेहाल

वर्ष 2007 में जब वसुंधरा राजे सिंधिया की सरकार हुआ करती थी तब 67 लाख का बजट इन गुफाओं के सौंदर्यीकरण एवं रखरखाव के लिए दिया गया था.उस समय यहां पर कुछ कार्य भी हुए.विशेष तौर पर गुफाओं के संरक्षण के लिए काम किया गया.  पर्यटकों की सुविधा के लिए एक कॉटेज भी बनाया गया था जिसकी हालत अब बेहद खराब हो चुकी है.लाखों रूपये की लागत से निर्मित कॉटेज बदहाली का शिकार है शौचालय जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं, वाश बेसिन टूटे हुए हैं,कमरों से पंखे,स्विचबोर्ड आदि गायब हो चुके हैं, कमरों की दीवारें गंदगी के कारण बदरंग हो चुकी है और सुरक्षा के अभाव में हालात बहुत दयनीय हो रहे हैं.

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