Kotputli Bhairu ji Lakhmi Fair 2025: तस्वीरों में आपको दिखाई दे रही जेसीबी, ट्रैक्टर ट्रॉली, फावड़ी और अन्य उपकरण से न तो खुदाई की जा रही है और न ही ये किसी बिल्डिंग के निर्माण काम किया जा रहा हैं, बल्कि इनकी मदद से बनाया जा रहा है राजस्थान का पारंपरिक और राजस्थानियों का पसंदीदा व्यंजन चूरमा. जी हां, आपने सही सुना.
राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में स्थित कोटपूतली के कुहाड़ा वाले श्री भैरुजी महाराज को एक दो नहीं, बल्कि पूरे करीब 400 सौं क्विंटल चूरमा से भोग लगाया जाएगा. इस चूरमे को बनाने में पूरी की पूरी टीम लगी हुई है. जिसमें ग्रामीण भी वोलेंटियर की भूमिका निभा रहे हैं.
जेसीबी से मिलाया, थ्रेसरों से पीसा चूरमा
आपको बता दें कि कोटपूतली के कल्याणपुरा- कुहाड़ा ग्राम स्थित छांपावाला भैरुजी मंदिर परिसर में 30 जनवरी को आयोजित होने वाले लक्खी मेले और भंडारे की तैयारियां जोरों से जारी है. व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए पुलिस भी बार-बार यहां का दौरा कर आयोजकों को जरुरी निर्देश दे रही है. इस मेले में महाप्रसादी के लिए थ्रेसरों और जेसीबी की सहायता से करीब 400 क्विंटल चूरमा तैयार किया गया हैं.
जिसके बाटियां सिकने के बाद कंप्रेसर से उनकी सफाई की गई और उसके बाद थ्रेसर से पिसाई कर चूरमे में जेसीबी से 130 क्विंटल शक्कर और घी मिलाया गया. चूरमे को मिलाने के लिए कार्यकर्ता हाथ और पांव में पॉलीथिन पहन कर ही कार्य करते हैं. चूरमे को जेसीबी से मिलाकर विभिन्न ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर मंदिर परिसर में रखवा दिया गया है.
पिछले साल लगाया 351 क्विंटल चूरमे का भोग
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी मंदिर में 351 क्विंटल चूरमे का भोग लगाया गया था. इस बार भंडारे के लिए कुल 551 क्विंटल की महाप्रसादी बनाई जा रही है, जिसमें 100 क्विंटल दही और करीब 50 क्विंटल दाल सहित अन्य सामग्री भी शामिल है. इस बार ग्रामीणों ने 100 मीटर लंबे जगरे में बाटियां सेंकी है.
जिससे 551 क्विंटल की महाप्रसादी बनाई जा रही है. जगरा लगाने के लिए 450 क्विंटल उपले अर्थात कंडे भी काम में लिए गए हैं. पिछले वर्ष यहां वार्षिकोत्सव में 515 क्विंटल की महाप्रसादी का भोग लगाया गया था. इस बार प्रसादी की मात्रा को बढ़ाया गया है.
कोटपूतली के कल्याणपुर के कुहाड़ा ग्राम स्थित छापाला भेरुजी मंदिर परिसर में 30 जनवरी को आयोजित होने वाले लक्खी मेले और भंडारे की तैयारियां जोरों से जारी है। व्यवस्थाओं दुरुस्त रखने के लिए पुलिस भी बार-बार यहां का दौरा कर आयोजकों को जरुरी निर्देश दे रही है.#RajasthanNews pic.twitter.com/OtNvAtZoxV
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) January 29, 2025
हेलीकॉप्टर से होगी मेले में पुष्प वर्षा
महाप्रसादी के लिए दाल बनाने का काम भी शुरू हो चुका हैं. वहीं बुधवार को करीब 11 हजार महिलाओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ विशाल कलश यात्रा निकाली गई. चूरमा तैयार करने में मेला कमेटी से जुड़े ग्रामीण जयराम जेलदार, पुजारी रोहिताश बोफा, रामकुंवार सरपंच और बबलू गुर्जर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे रहे.
इसके अलावा भैरु बाबा मंदिर पर 30 जनवरी को हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की जाएगी. इस दौरान यहां मेले में हेलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड भी तैयार किया जा चुका है. प्रसादी वितरित करने के लिए ढ़ाई लाख पत्तल-दोने, चाय-कॉफी के लिए 4 लाख कप मंगवा लिए गए हैं. मेले में पेयजल आपूर्ति के लिए 15 वाटर टैंकर भी मौजूद रहेंगे.
400 क्विंटल चूरमा बनाने में क्या-क्या मिलाया?
चूरमे की महाप्रसादी में 150 क्विंटल आटा, 50 क्विंटल सूजी, 30 क्विंटल देसी घी, 100 क्विंटल खांड, 10 क्विंटल मावा, 3 क्विंटल बादाम, 3 क्विंटल किशमिश, 3 क्विंटल काजू, 3 क्विंटल खोपरा, 50 क्विंटल दूध आटे, 100 क्विंटल दूध का दही और 50 क्विंटल दाल को मिलाकर कुल 551 क्विंटल की महाप्रसादी तैयार की जा रही है. इसी प्रकार दाल बनाने में 50 क्विंटल दाल, 21 पीपा सरसों तेल, 5 क्विंटल टमाटर, 2 क्विंटल हरी मिर्च, 1 क्विंटल हरा धनिया मिलाया जा रहा है.
इसके साथ ही दाल में 60 किलो लाल मिर्च, 60 किलो हल्दी और 40 किलो जीरा भी डाला गया है. विशेष बात यह है कि प्रसादी के लिए शुद्ध देशी घी का उपयोग किया जा रहा है. घी और दूध यहीं ग्राम कुहाड़ा के प्रत्येक घर से लिया जा रहा है. प्रसादी तैयार करने के लिए 150 हलवाईयों की टीम जुटी हुई है.
जानें क्या है भैरुजी की कहानी
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सोनगिरा पोषवाल प्रथम भैरुजी का परम भक्त था. जो भैरु बाबा की मूर्ति को कुहाड़ा गांव में स्थापित करना चाहता था. भैरु बाबा की मूर्ति लाने काशीजी चला गया. कहा जाता है कि भैरू ने स्वप्न में दर्शन देकर सोनगिरा से बड़े बेटे की बली मांगी. जिस पर वह बेटे की बली देकर भैरू मूर्ति लेकर चल देता है. भैरू बाबा बलिदान और परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते हैं.
सोनगिरा पोषवाल प्रथम और उसके पुत्र ने पंच पीरों के साथ कुहाडा गांव में मूर्ति स्थापना की. स्थापना दिवस पर जागरण भण्डारे का आयोजन किया जाता है. यहां पंचदेव खेजडी वृक्ष की आज भी पूजा होती है. जिस स्त्री के संतान सुख नहीं है, वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलकर मन्नत मांगती है.
हजारों लोग बिना प्रशासन के संभाल रहे व्यवस्था
मेले को संपन्न कराने में 11 सदस्यीय मेला कमेटी की देखरेख में करीब 200 वालंटियर्स और एक दर्जन से अधिक स्कूलों के करीब एक हजार बालक पार्किंग व्यवस्था, जल वितरण, प्रसादी वितरण आदि कार्यों में अपनी सेवाएं देते हैं. वहीं, आसपास के पांच गांवों की करीब दो सौ औरतें भी अपनी श्रद्धा के अनुसार महिलाओं को प्रसादी वितरण कराने में अपनी सेवाएं देती हैं. ग्रामीण मेले को इतने व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराते हैं कि पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है.
मेले में आने वाले हजारों वाहनों के लिए ग्रामीण पार्किंग की व्यवस्था तक ग्रामीण खुद संभालते हैं. मेले में एम्बूलेंस, फायर ब्रिगेड आदि संसाधन तैनात रहते हैं और चिकित्सा सुविधा के लिए चिकित्सकों की टीमें भी मुस्तैद रहती है. पूरे कार्यक्रम की ड्रोन कैमरे से शुटिंग कराई जाती है. यही नहीं, कार्यक्रम में लोक गायक कलाकारों द्वारा भजनों की प्रस्तुति भी दी जाती है.
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