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This Article is From Jul 08, 2023

'भारत का दुबई' है बाड़मेर, पर्यटकों को लुभाती है यहां की सुहानी छटा

बाड़मेर राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है. साथ ही देश का पांचवा सबसे बड़ा जिला भी है .यह देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है. इस कारण इसे 'भारत का दुबई' भी कहा जाता है.

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'भारत का दुबई' है बाड़मेर, पर्यटकों को लुभाती है यहां की सुहानी छटा

बाड़मेर जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित थार रेगिस्तान का एक भाग है. इस के उत्तर में जैसलमेर जिला, पूर्व में पाली जिला, उत्तर पूर्व में जोधपुर जिला, दक्षिण में जालोर जिला तथा पश्चिमोत्तर, पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान स्थित है. बाड़मेर राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है. साथ ही देश का पांचवा सबसे बड़ा जिला भी है .यह देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है. इस कारण इसे 'भारत का दुबई' भी कहा जाता है. यहां जिला मुख्यालय बाड़मेर के अलावा अन्य मुख्य कस्बे बालोतरा, गुड़ामलानी, नोखड़ा, बायतु, सिवाना, जसोल, चौहटन, धोरीमन्ना और उत्तरलाई हैं. बाड़मेर के पचपदरा में एक अत्याधुनिक रिफाइनरी निर्माणाधीन है.

परमार राजा बहाड़ राव से जुड़ा है इतिहास

बाड़मेर का मतलब है बहाड़ की पहाड़ी का किला. इसके इतिहास की बात करें, तो इस शहर की स्थापना 13वीं शताब्दी में परमार राजा बहाड़ राव ने की थी. उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बाड़मेर पड़ा.

कुछ विद्वानों का कहना है कि बाड़मेर की स्थापना रावत भीमा ने 1552 ई. में की थी. पहले इसे ‘मालाणी' के नाम से भी जाना जाता था. परमारों के बाद बाड़मेर पर चौहान वंश ने राज किया.

उसके बाद रावत लूंका (रावल जगमाल के पुत्र व रावल मल्लीनाथ के पौत्र) ने अपने भाई रावल मंडलीक के साथ मिलकर चौहान शासक राव मुंधा को हराकर बाडमेर को जीता.

संस्‍कृति और औद्योगिक विकास की झलक एक साथ

बाड़मेर की एक विशेषता यहां ग्रामीण-सांस्‍कृतिक परिवेश के साथ ही औद्योगिक विकास की झलक एक साथ दिखाई देना है. यहां एक तरफ तो गांवों में पारंपरिक पोशाकें पहने लोग दिखाई देते हैं, वहीं तेल रिफाइनरी के चलते यहां औद्योगिक गतिविधियां भी बड़ी तेज रफ्तार से चलती नजर आती हैं.

पर्यटकों के लिए मनभावन स्‍थल

बाड़मेर राजस्थान के ग्रामीण जीवन से बखूबी रूबरू कराता है. इसलिए यह विदेशी पर्यटकों को खूब लुभाता है. बाड़मेर के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों की बात करें, तो चिन्तामणी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, आसोतरा का ब्रह्मा मंदिर, बाटाड़ू का कुआं, जूना किला और मन्दिर, रानी भटियानी मन्दिर, विष्णु मन्दिर, श्री नाकोड़ा जी जैन मन्दिर, देवका सूर्य मन्दिर, किराड़ू मन्दिर, बाड़मेर किला और गढ़ मन्दिर सबसे मशहूर धार्मिक व ऐतिहासिक स्‍थलों में शामिल हैं. वहीं महाबार सैण्ड-ड्यून्स ( रेत के धोरे ) - बाड़मेर, सफेद अखाड़ा भी सैलानियों के बीच काफी मशहूर है.

मार्च में होता है ‘बाड़मेर महोत्सव'

बाड़मेर घूमने के लिए सबसे बेहतरीन समय मार्च का महीना है, क्योंकि यह ‘बाड़मेर महोत्सव' का वक्‍त होता है. इस दौरान पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है. इसके अलावा यहां तिलवाड़ा पशु मेला, नाकोड़ा पार्श्वनाथ, सुईया मेला चौहटन, हुडो की ढाणी, विरात्रा माता का मेला, खेड़मेला, कल्याण सिंह का मेला, हरलाल जाट का मेला, सिणधरी पशु मेला, गोयणेश्वर महादेव, बायतु, सिणधरी, मेहलू और थाटी री खेजड़ी जैसे विश्व प्रसिद्ध मेलों का भी आयोजन होता है. 

बाड़मेर एक नजर में

  • जिला मुख्यालय -  बाड़मेर 
  • 24,58' से 26, 32' उत्‍तरी अक्षांश और 70, 05' से 72, 52' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित.
  • क्षेत्रफल -    28,387 वर्ग किमी
  • जनसंख्या -    2,603,751
  • जनसंख्या घनत्व -    92/वर्ग किमी
  • लिंगानुपात -    902/1000
  • साक्षरता -     56.53%
  • तहसील - 14 
  • पंचायत समिति - 17 
  • संभाग - जोधपुर
  • विधानसभा क्षेत्र -    7 (बाड़मेर, शिव, बायतु, पचपदरा, सिवाना, गुडामलानी, चोह्टन)
  • लोकसभा क्षेत्र -    1
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