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This Article is From Jul 08, 2023

राजस्थान की वीरगाथाओं में सबसे आगे है चित्तौड़गढ़ का नाम, पर्यटन का भी है केन्द्र

राजस्थान के उदयपुर संभाग के इस जिले का इतिहास स्वाभिमानी वीरों, वीरांगनाओं के पराक्रम की कहानियों से भरा पड़ा है, जिसका सबसे बड़ा गवाह चित्तौड़गढ़ का किला है. यह देश के सबसे विशाल किलों में से एक है.

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राजस्थान की वीरगाथाओं में सबसे आगे है चित्तौड़गढ़ का नाम, पर्यटन का भी है केन्द्र

राजस्थान को राजपूताना वीरों की धरती कहा जाता है और इसकी वीरगाथाओं में चित्तौड़गढ़ का सबसे अग्रणी स्‍थान है. राजस्थान के उदयपुर संभाग के इस जिले का इतिहास स्वाभिमानी वीरों, वीरांगनाओं के पराक्रम की कहानियों से भरा पड़ा है, जिसका सबसे बड़ा गवाह चित्तौड़गढ़ का किला है. इस दुर्ग का निर्माण चित्रांगद (चित्रक) मौर्य ने 7वीं शताब्दी में करवाया था. देश के सबसे विशाल किलों में से एक है. इसी के आधार पर इस स्थान का नाम पहले ‘चित्रकूट‘ पड़ा, जो आगे चलकर चित्तौड़ हो गया. इस किले का जिक्र हिंदू ग्रंथ महाभारत में भी मिलता है. यूनेस्को द्वारा वर्ष 2013 में चित्तौड़गढ़ किला को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था. 

कई राजवंशों से जुड़ा इतिहास, महाभारत में भी है उल्‍लेख 

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मौर्य शासक चित्रक द्वारा 7वीं शताब्दी में चित्‍तौड़ दुर्ग की स्‍थापना के बाद यह लंबे समय तक मौर्य अथवा मौर वंश के अधीन रहा. यह मेवाड़ शासकों के अधीन कब आया, इस बारे में विद्वानों की अलग-अलग राय है.साम्राज्य की राजधानी को चित्तौड़ से उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ राज्य की राजधानी रहा. यहां पर बप्पा रावल (मूल नाम कालभोज/मालभोज) ने गुहिल वंश का शासन स्थापित किया था. माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी के मध्य में अंतिम सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के एक भाग के रूप में प्राप्त किया था. बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया.  स्वतंत्रता प्राप्ति तक यहां सिसोदिया राजवंश का शासन रहा और महाराणा भूपाल सिंह को राजस्थान के एकीकरण के बाद नवगठित राजस्थान का महाराज प्रमुख बनाया गया.

किले के अलावा भी हैं दर्जनों दर्शनीय स्‍थल

चित्तौड़गढ़ के किले के अलावा भी यहां कई ऐतिहासिक और दर्शनीय स्‍थल हैं. इनमें रानी पद्मिनी का महल, महासती जौहर स्थल, खातन रानी का महल, फतेह प्रकाश महल, महाराणा कुंभा का विजय स्तम्भ, भैंसरोडगढ़ दुर्ग, भामाशाह की हवेली, राव रणमल की हवेली, आल्हा काबरा की हवेली, पत्ता तथा जयमल की हवेलियां, गोरा - बादल की घूमरें, राणा पूंजा भवन, बीका खोह, बादशाह की भाक्सी, घोड़े दौड़ाने के चौगान, कालिका माता का मंदिर, सूरज कुण्ड, गौमुख कुण्ड, वीनौता की बावड़ी, समिद्धेश्वर (समाधीश्वर) महादेव का मंदिर, जटाशंकर महादेव देवालय, कुम्भस्वामी (कुंभ श्याम) का मंदिर, मीराबाई का मंदिर, जैन धर्म का कीर्ति स्तंभ व जैन सातबीस देवरी प्रमुख हैं. 

चित्तौड़गढ़ एक नजर में 

  • भौगोलिक स्थिति -  24° 13' से 25° 13' उत्तरी अक्षांश और 74° 04' से 75° 53' देशांतर 
  • क्षेत्रफल -   7822.00 वर्ग किलोमीटर 
  • जनसंख्या - 15,44,338
  • जनसंख्या घनत्व - 197 
  • लिंगानुपात - 972 
  • तहसीलें - 12 (चित्तौड़गढ़, बड़ीसादड़ी, बस्सी, बेगूं, भदेसर, भूपालसागर, डूंगला, गंगरार, कपासन, निम्बाहेड़ा, राशमी, रावतभाटा) 
  • उपखंड - 7 
  • पंचायत समितियां - 11 
  • ग्राम पंचायत - 288
  • विधानसभा क्षेत्र - 5 (चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा, बेंगू, बड़ी सादड़ी, कपासन)
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