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This Article is From Jul 11, 2023

'सिटी ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर है डूंगरपुर, वास्तुकला भी है बेहद प्रसिद्ध

यह शहर अपनी विशेष वास्तुकला शैली के दुनियाभर में जाना जाता है. अपने ऐतिहासिक, दार्शनिक स्थलों और स्वच्छ व शांतिपूर्ण वातावरण के चलते डूंगरपुर देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है.

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'सिटी ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर है डूंगरपुर, वास्तुकला भी है बेहद प्रसिद्ध

सिटी ऑफ हिल्स के नाम से प्रसिद्ध डूंगरपुर राजस्थान राज्य के प्रमुख शहरों में से एक है. यह शहर अपनी विशेष वास्तुकला शैली के दुनियाभर में जाना जाता है. अपने ऐतिहासिक, दार्शनिक स्थलों और स्वच्छ व शांतिपूर्ण वातावरण के चलते डूंगरपुर देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. दक्षिणी राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस जिले में भील जनजाति के लोग काफी संख्या में रहते हैं. यह समुदाय आज भी अपनी पुरानी संस्कृति के हिसाब से ही जीवन व्यतीत कर रहा है. छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बनी भीलों की बस्तियां डुंगरपुर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं.

जिले का इतिहास 

बात करें डूंगरपुर के इतिहास की तो यह शहर 13वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था.1282 ई. में रावल वीर सिंह ने इसकी स्थापना की थी. उन्होंने यह क्षेत्र भील प्रमुख डुंगरिया को हराकर जीता था. इस शहर का नाम डुंगरिया के नाम पर ही रखा गया है. दरअसल, प्रचलित किवदंती के मुताबिक, इस क्षेत्र में डूंगरिया नाम का एक भील सरदार रहता था. पहले से ही दो पत्नियों का पति डूंगरिया एक संपन्न व्यापारी की पुत्री से भी विवाह करना चाहता था. व्यापारी इसके लिए तैयार नहीं था. उसने सहायता के लिए बांगड़ राज्य के रावल वीरसिंह देव के सामने हाथ फैलाए. इसके बाद रावल वीरसिंह और डूंगरिया के बीच हुए युद्ध में डूंगरिया मारा गया. वीरसिंह ने उसकी विधवाओं को वचन दिया कि वह उनके पति के नाम का स्मारक बनाकर उसे अमर कर देंगे. उन्होंने एक पहाड़ी पर डूंगरिया भील की स्मृति में मंदिर बनवाया और उसी के नाम पर डूंगरपुर नगर की स्थापना की. पहले यह स्थान डुंगरिया भील की ढाणी के नाम से जाना जाता था. वहीं शिलालेखों के मुताबिक इस नगर का प्राचीन नाम डूंगरगिरी भी था. साल 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी का इस पर अधिकार हो गया था. बाद में यह जगह डूंगरपुर प्रिंसली स्टेट की राजधानी भी रहा. आजादी के बाद 25 मार्च 1948 को डूंगरपुर रियासत का राजस्थान में विलय कर दिया गया. उस समय डूंगरपुर के महारवल लक्ष्मण सिंह थे.

डूंगरपुर जिले से बहकर जाने वाली सोम और माही नदियां इसकी सीमा उदयपुर और बांसवाड़ा जिले से अलग करती हैं. यहां के महलों और अन्य ऐतिहासिक स्थलों में दर्शायी गई वास्तुकला के लिए भी डूंगरपुर काफी प्रसिद्ध है.

जिले के प्रसिद्ध स्थल

बादल महल

गैब सागर झील के नजदीक बने बादल महल को अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है.  दो चरणों में बने इस महल के निर्माण में दावरा पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इस महल की खास बात यह है कि इसे कुछ इस तरीके से बनाया गया है कि कहीं से भी खड़े होकर आप महल की पूरी संरचना को देख सकते हैं.

देवसोमनाथ मंदिर

12वीं सदी में सोम नदी पर निर्मित यह मंदिर डूंगरपुर शहर से 24 किमी. की दूरी पर स्थित है. सफेद पत्थरों से बने इस शिवालय मंदिर के पूर्व, उत्तर तथा दक्षिण में एक-एक द्वार तथा प्रत्येक द्वार पर दो मंजिला झरोखे बने हैं. 

उदय विलास महल

डूंगरपुर का एक और आकर्षण स्थल है ‘उदय विलास पैलेस'. गैब सागर के किनारे बना यह ऐतिहासिक स्थल पत्थर की कारीगरी का नायाब नमूना है.  

देवेंद्रकुंवर राज्य संग्रहालय

डूंगरपुर में राजमाता देवेंद्रकुंवर राज्य संग्रहालय भी स्थित है. जिसमें तत्कालीन बांगड़ प्रदेश के इतिहास से जुड़ी जानकारियां हैं.

एक थम्बिया महल

डूंगरपुर में स्थित इस महल का निर्माण महारावल शिवसिंह ने 1730 से 1785 ई. के बीच अपनी राजमाता ज्ञान कुंवरी की स्मृति में करवाया.

सैय्यद फखरुद्दीन की मजार

दाउदी बोहरा समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल सैय्यद फखरूद्दीन की मजार डूंगरपुर में माही नदी के किनारे स्थित है. यहां मोहर्रम के 27वें दिन उर्स भरता है.

बेणेश्वर मेला

भीलों का कुंभ कहे जाने वाला यह मेला सोम, माही और जाखम नदियों के संगम पर माघ पूर्णिमा को भरता है. डूंगरपुर के बेणेश्वरधाम में भरने वाले इस मेले में आदिवासी (भील) अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते हैं. इस ऐतिहासिक मेले में राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं गुजरात के अलावा अन्य स्थानों से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं. यह मेला भील युवक-युवतियों को जीवनसाथी चुनने का भी मौका देता है.

इसके अलावा डूंगरपुर में विजय राजेश्वर मंदिर, गवरी बाई का मंदिर, जैन मंदिर, मामा-भांजा मंदिर, संतमावजी का मंदिर,  कालीबाई उद्यान और जूना महल जैसे ऐतिहासिक और दार्शनिक स्थल भी मौजूद हैं.

डूंगरपुर के बारे में अन्य अहम जानकारियां 

  • बांसवाड़ा लोकसभा सीट में आने वाले डूंगरपुर जिले में कुल 4 विधानसभा क्षेत्र - डूंगरपुर, चौरासी, सागवाड़ा और आसपुर हैं.
  • उदयपुर संभाग में आने वाले डूंगरपुर जिले में कुल 4 तहसील - डूंगरपुर, बिछीवाड़ा, सागवाड़ा और गलियाकोट हैं.
  • जिले में कुल 188 ग्राम पंचायतें हैं.
  • डूंगरपुर में देश का पहला आदिवासी महिला सहकारी निजी बैंक स्थापित किया गया था. यह बैंक बरबुंदनियां में स्थित है.
  • यह देश का पूर्ण साक्षर आदिवासी जिला है.
  • डूंगरपुर में लोहा, फ्लोराइट, हरा ग्रेनाइट, सीसा-जस्ता, संगमरमर, यूरेनियम और घीया पत्थर व अन्य खनिज पाए जाते हैं.
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