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This Article is From Jul 10, 2023

मेहंदी, पापड़ और गुलाब हलवा मिठाई के लिए मशहूर पाली, महाभारत में भी है जिक्र

पाली पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया नगर है, जिसे उन्हें मुगलों के आंतक के कारण छोड़ना पड़ा. इसका पुराना नाम पालिका था. पाली इतिहास में प्रसिद्ध दानी राजा भामाशाह की जन्म स्थली भी है.

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मेहंदी, पापड़ और गुलाब हलवा मिठाई के लिए मशहूर पाली, महाभारत में भी है जिक्र

पाली जिला राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में आता है. बांदी नदी के तट पर बसा यह शहर जोधपुर से 70 किमी दक्षिण-पूर्व में है. यह राजस्थान का एक अन्तर्वर्ती जिला है जिसकी सीमा किसी भी अन्य राज्य या देश से नहीं लगती. इसकी सीमाएं राजस्थान के सर्वाधिक जिलों 8 जिलों को छूती हैं. 

अपनी मेहंदी (हिना) और दूध व गुलाब से बनने वाली खास मिठाई गुलाब हलवा के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा यहां के स्वादिष्ट पापड़ भी काफी मशहूर हैं. पाली में हिन्‍दी के अलावा ‘गोड़वाड़ी (मारवाड़ी) बोली' बोली जाती है.

कपड़ा, सीमेंट और मार्बल उद्योग से मिली नई पहचान

वर्तमान में पाली को राजस्‍थान के एक औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है, जो खासतौर पर कपड़ा उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है. यहां सूती और सिंथेटिक कपड़े एवं यार्न भारत के अन्य राज्यों में काफी सस्ते दामों में भेजे जाते हैं. कपड़ा उत्‍पादन के लिए यहां की महाराजा श्री उम्मेद मिल काफी मशहूर है, जो राजस्थान की सबसे बड़ी टेक्‍सटाइल मिल है. यह 940 में स्थापित हुई थी. इसके अलावा यहां चूड़ियां बनाने, मार्बल कटिंग, मार्बल फिनिशिंग जैसे उद्योग भी चल रहे हैं. देशभर में प्रसिद्ध गुजरात अंबुजा सीमेन्ट प्‍लांट पाली में ही है.

पांडवों और परशुराम से जुड़ा है भामाशाह की जन्‍मभूमि का इतिहास 

पाली पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया नगर है, जिसे उन्हें मुगलों के आंतक के कारण छोड़ना पड़ा. इसका पुराना नाम पालिका था. पाली इतिहास में प्रसिद्ध दानी राजा भामाशाह की जन्म स्थली भी है. भूवैज्ञानिकों और पुरातत्ववेत्ताओं ने पाली में प्रागैतिहासिक काल में आदिमानव की बस्तियों का पता लगाया है. प्राचीन काल में यह ‘अर्बुदा' प्रांत का  एक भाग था, जिसे ‘बल्ल-देश' के नाम से भी जाना जाता था. वैदिक युग में, महर्षि जाबालि ने पाली में रह कर ही वेदों की व्याख्या की थी. कहा जाता है कि महाभारत युग में, पांडव भी अज्ञातवास के दौरान कुछ समय यहां पर छुप कर रहे थे. माना जाता है कि अरावली पर्वत श्रृंखला की एक गुफा में परशुराम ने तपस्या की थी. इसलिए बाद में इस गुफा का नाम परशुराम गुफा रख दिया गया. 

1857 में किए थे अंग्रेजों के दांत खट्टे

लंबे समय तक यह इलाका राठौड़ राजाओं के अधीन रहा. ब्रिटिश काल में 1857 की गदर के दौरान पाली को प्रसिद्धि मिली, जब यहां के जागीरदार ठाकुर कुशाल सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया. पाली में अंग्रेजों से हुए युद्ध में के स्वतंत्रता सेनानियों की जीत हुई और ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन मेसन का सिर काट कर आउवा किले के मुख्य द्वार पर लटका दिया गया था. भारत की आजादी के बाद पाली का 1949 में उम्मेद सिंह के उत्तराधिकारी हनुवंत सिंह द्वारा भारत में विलय कर दिया गया. 

पौराणिक महत्‍व के कई दर्शनीय स्‍थल हैं यहां

पाली के दर्शनीय स्‍थानों में पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध जवाई बांध मारवाड़ के अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा यहां सरदार समंद बांध भी है. रणकपुर का जैन मंदिर अपनी विशिष्ट स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है. यह विशाल मंदिर 1444 खंभों पर बना है, जिसमें हर खंभे की बनावट अपने आप में अलग है. इसका निर्माण महाराणा कुम्भा के शासन काल में मंत्री धारणशाह ने करवाया था. इसी तरह  निम्बों का नाथ मंदिर के बारे में माना जाता है कि पांडवों की माता कुंती ने यहां शिव की आराधना की थी. पाली के ओम बन्ना मंदिर की खासियत यह है कि यहां मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है. गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी द्वारा निर्मित भगवान शिव का सोमनाथ मंदिर भी यहां है.

पाली एक नजर में 

  • क्षेत्रफल - 12,387 वर्ग किमी
  • भौगोलिक स्थिति - 24°45‘ से 26°29' उत्तरी अक्षांश और 72°47‘ से 74°18' पूर्व देशांतर
  • जनसंख्या  - 229,956 (2011 की जनगणना) 
  • साक्षरता दर - 68.2% 
  • पंचायत समितियां - 10 
  • संभाग - जोधपुर
  • तहसीलें - 10 (बाली, देसूरी, रायपुर, रोहट, रानी, पाली, जैतारण, मारवाड़ जंक्शन, सोजत, सुमेरपुर) 
  • विधानसभा क्षेत्र - 6 ( पाली, जैतारण, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, बाली, सुमेरपुर) 
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