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राजस्थान में बिना केमिकल के बनता है देसी गुड़, कई प्रदेशों में पहुंचती है इसकी मिठास, जानिए खासियतें

चित्तौड़गढ़ से होकर गुजर रहे नेशनल हाइवे के पास इन दिनों देसी गुड़ बनाने की करीब एक दर्शन से अधिक छोटे उद्योग लगाए गए हैं. पूरे दिन में आठ सौ से एक हज़ार किलो तक देसी गुड़ बनाया जा रहा हैं. खेतों में खड़े गन्ने के बढ़े दामों से इस बार देसी गुड़ भी महंगा बिक रहा हैं.

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राजस्थान में बिना केमिकल के बनता है देसी गुड़, कई प्रदेशों में पहुंचती है इसकी मिठास, जानिए खासियतें
पारंपरिक तरीकों से तैयार होता देसी गुड़.

Chittorgarh News: सर्दी में चीनी के बजाय देसी गुड़ की डिमांड काफी बढ़ जाती हैं. इसका सबसे बड़ा कारण देसी गुड़ की तासीर गर्म होना हैं. आयरन से भरपूर होने की वजह से कई तरफ के फायदे के साथ कई तरह की बीमारियों से भी बचा जा सकता हैं. चित्तौड़गढ़ जिले में कई जगहों पर गन्ने का उत्पादन अधिक होने से लोग देसी गुड़ बनाने के छोटे-छोटे कारखाने लगा कर बिना केमिकल रहित गुड़ तैयार कर रहे हैं. जिससे उसका स्वाद और भी बढ़ जाता हैं. देसी गुड़ शरीर को ठंड से बचाने का काम करता हैं. यही कारण हैं कि सर्दियों में गुड़ और मूंगफली से बनी गुड़ चक्की, तिल और गुड़ से बनी तिल पापड़ी, गजक का उपयोग बढ़ जाता हैं.

गन्ने के रस को साफ करने के लिए डाले जाते हैं भिंडी के पौधे

खेतों से गन्ने की कटाई करके इन्हें देसी गुड़ बनाने के छोटे कारखाने तक पहुँचाया जाता हैं. पहले के समय में गन्ने का रस बेलों से निकाला जाता था लेकिन समय के साथ बेलों के स्थान आधुनिक मशीनों ने ले लिया. गन्नों का रस आधुनिक चरखी द्वारा निकाला जाता हैं. चरखी से निकला यह रस सीधे देसी गुड़ बनाने के प्रोसेस में किया जाता हैं.

गन्ने के रस को साफ करने के लिए भिंडी के पौधे को कुचल कर उसका पानी रस में डाला जाता है. इस विधि को रस को साफ करना कहा जाता हैं. देसी गुड़ बनाने की भट्टी में ईंधन के रूप में गन्ने के रस के बाद बचे वेस्ट को उपयोग किया जाता हैं.

भट्टी में उचित ताप बनाए रखने के लिए लगातार ईंधन झोंका जाता हैं. भट्टी के ऊपर रखे तीन बड़े कड़ाव में गन्ने का रस अलग-अलग प्रोसेस से गुजारा जाता हैं. गुड़ की तीसरी प्रोसेस पूरी होने पर रस से बने गुड़ को ठंडा करने के लिए बाहर निकाला जाता हैं. देसी गुड़ के ठंडे होने के बाद उसे टीन में भरा जाता हैं. ग्राहकों के हिसाब से गुड़ बनाने वाले लोग इसे अलग-अलग वजन के हिसाब से पैकिंग किया जाता हैं.

पूरे दिन में आठ सौ से एक हज़ार किलो गुड़ बनाया जाता है 

चित्तौड़गढ़ से होकर गुजर रहे नेशनल हाइवे के पास इन दिनों देसी गुड़ बनाने की करीब एक दर्शन से अधिक छोटे उद्योग लगाए गए हैं. पूरे दिन में आठ सौ से एक हज़ार किलो तक देसी गुड़ बनाया जा रहा हैं. खेतों में खड़े गन्ने के बढ़े दामों से इस बार देसी गुड़ भी महंगा बिक रहा हैं. हाइवे किनारे लगे गुड़ के उद्योग से बना देसी गुड़ राजस्थान, एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों तक चित्तौड़गढ़ के गुड़ की मिठास पहुंच रही हैं. 

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