Hariyali Teej 2024: भगवान शिव और पार्वती को समर्पित हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए रखती हैं. हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है. इस साल यह त्योहार 7 अगस्त को यानी कि बुधवार को मनाया जाएगा. राजस्थान में हरियाली तीज का उत्साह देखते ही बनता है. प्रदेश में बड़ी धूम-धाम से हरियाली तीज मनाई जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहाग की रक्षा, उन्नति, स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और सावन के लोकगीत गाकर इस त्योहार की खुशियां मनाती हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल हरियाली तीज के अवसर पर तीन शुभ योग बनेंगे. हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग बना है.
हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व
इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन हरी साड़ी के साथ हरी चूड़ियां भी पहनने का प्रचलन है. हरियाली तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस पर्व को नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करती हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं. हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती हैं. पेड़ पौधे उजले उजले नजर आने लगते हैं. हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं. हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं.
हरियाली तीज पर 3 शुभ योग
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल हरियाली तीज के अवसर पर तीन शुभ योग बनेंगे. हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग बना है. उस दिन रवि योग रात 8:30 मिनट से लेकर अगले दिन 8 अगस्त को सुबह 5:47 मिनट तक है. वहीं परिघ योग प्रात: काल से लेकर सुबह 11:42 मिनट तक है और उसके बाद शिव योग लगेगा. शिव योग अगले दिन पारण तक रहेगा.
शादी के बाद की पहली तीज है खास
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली तीज की पूजा दोपहर बाद ही होती है. इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, जो कि जरूरी रस्म होती है. इसके अलावा घेवर खाती हैं. असल में इस पर्व का नाम मधुश्रवा हरियाली तीज है. यह नाम इसीलिए पड़ा कि इसमें मधु टपकता है. मिष्ठान्न खाने को मिलते हैं. खासकर नवविवाहिता की पहली तीज पर खास आयोजन होता है. ससुराल से उसके लिए सिंधारा आता है. इसमें घेवर, फेनी, कपड़े, मिष्ठान्न, फल आदि आते हैं.
राहुकाल में न करें पूजा
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हरियाली तीज के दिन राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है. हरियाली तीज पर राहुकाल दोपहर में 2:06 बजे से 3:46 बजे तक रहेगा.
हरियाली तीज परम्पराएं
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन के माह में आने वाले त्यौहारों को नवविवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत विशेष माना गया है. हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है. हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा मनाने की परम्परा है. इस दिन ससुराल पक्ष से नवविवाहित स्त्रियों को वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई आदि भेजी जाती है. इस तीज के अवसर पर मेहंदी लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है.
महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, साथ ही हरियाली तीज पर पैरों में आलता भी लगाया जाता है. यह सुहागिन महिलाओं की सुहाग की निशानी मानी गई है. हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. अगर सास नहीं हो तो सुहागा जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दिया जा सकता है. इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मां पार्वती की पूजा करती हैं. हरियाली तीज के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नृत्य करती हैं.
हरियाली तीज की पूजा विधि
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शिव पुराण में हरियाली तीज का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए इस व्रत की विवाहित स्त्रियों के लिए बड़ी महिमा है. इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती के लिए व्रत एवं उनका पूजा-अर्चना करती हैं. हरियाली तीज के दिन साफ-सफाई करके घर को तोरण और मंडप से सजाएं.
एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, श्री गणेश, माँ पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा का निर्माण करें. सभी देवी-देवताओं की मिट्टी की प्रतिमा बनाने के उपरांत सुहाग की समस्त सामग्री को एक थाली में एकत्रित करें और माता पार्वती को अर्पित करें. माँ पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें. इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें. अंत में हरियाली तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. हरियाली तीज व्रत की पूजा पूरी रात चलती है. इस दौरान महिलाओं द्वारा जागरण और कीर्तन भी किये जाते हैं.
ऐसे मिला था देवी पार्वती को तप का फल
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि भोलेनाथ कहते हैं कि हे पार्वती! इस शुक्ल पक्ष की तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था. उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका. इस व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मन वांछित फल देता हूं. भोलेनाथ ने पार्वती जी से कहा कि जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी. मान्यता है कि इस कथा को जो भी स्त्री पढ़ती या सुनती है वह अखंड सौभाग्यवती होती है.
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