Rajasthan News: राजस्थान में आज से मेवाड़ महोत्सव का आगाज हो गया है. गुरुवार को झीलो की नगरी उदयपुर में गणगौर की शाही सवारी निकाली गई. इस दौरान विदेशी पर्यटक भी राजस्थानी पोशाक पहले प्रतियोगिता में भाग लेते नजर आए. पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित इस महोत्सव में विभिन्न समाजों की ओर से गणगौर घाट पर भगवान ईशर और गणगौर की पूजा की जाती है. इस महोत्सव के पहले दिन घंटाघर से गणगौर घाट तक गणगौर की सवारी निकाली जाती है, जिसमें महिलाएं पारंपरिक परिधानों में तैयार होकर पूजा करने के लिए घाट पर आती हैं.
वहीं पिछोला झील में शाही गणगौर बोट में सवारी निकाली गई. बंशी घाट से गणगौर घाट तक रॉयल गणगौर की सवारी प्रमुख आकर्षण का केन्द्र रही. विभिन्न समाजों की गणगौर की सवारी को भी नकद पुरस्कार प्रदान किए गया. प्रथम रहने वाली सवारी को 51 हजार, द्वितीय स्थान पर रहने वाली सवारी को 25 हजार तथा तृतीय स्थान को 15 हजार रुपयों की मिले. इसके बाद शाम से गणगौर घाट पर लोक कलाकारों की ओर सेप्रस्तुति दी जाएगी.
12 अप्रैल को विदेशी पर्यटकों के लिए बेस्ट ट्रेडिशनल ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन शाम 7 बजे से किया जाएगा. पर्यटन विभाग के अनुसार इस साल मेले में मूक बधिर बच्चों को भी हुनर दिखाने का मौका दिया जाएगा. इस बार यहां पर बच्चे गायन और पेंटिंग करेंगे. इसके लिए अलग-अलग स्कूलों के विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ गोगुंदा में भी 11 से 13 अप्रैल तक गणगौर मेले का आयोजन किया जाएगा. इसमें हाट बाजार, गणगौर सवारी और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा.
उदयपुर के गणगोर महोत्सव में राजस्थान के सभी जगह के कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें मुख्य जैसलमेर का लंगा-मांगणियार है जो महोत्सव को खास बनाएगा. शहर में आयोजित होने वाले महोत्सव में गोगुंदा से तेरहताल और गवरी नृत्य, बूंदी और उदयपुर से कच्ची घोड़ी, बारां से सहरिया स्वांग, बाड़मेर से लाल आंगी गेर, चूरू-सीकर से चंप ढप नृत्य, मेनार से गेर नृत्य, कुंभलगढ़ से बांकिया, झाड़ोल से मावलिया नृत्य, किशनगढ़ से चरी और घूमर, जोधपुर से कालबेलिया, जैसलमेर से लंगा-मांगणियार, बाड़मेर से भवई नृत्य, चित्तौड़गढ़ से बहरूपिया और शहनाई की प्रस्तुति खास रहेगी.