RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि 4, 5 और 6 दिसंबर के दौरान हुई मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में MPC ने 4:2 मत से पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. दास ने कहा कि महंगाई को काबू में रखना RBI का काम है. वहीं GDP ग्रोथ पर भी ध्यान रखना जरूरी है.
क्या होती है रेपो रेट ?
रेपो रेट वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को कर्ज देता है. जब RBI बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका सीधा असर कर्ज की लागत पर पड़ता है. इसका मतलब है कि कर्ज लेना सस्ता हो सकता है, जो खासतौर पर होम लोन या अन्य लोन लेने की योजना बना रहे लोगों के लिए फायदेमंद है.
रेपो रेट घटने से बैंक अपने रेपो-लिंक्ड लोन की ब्याज दरों को कम कर सकते हैं, जिससे आपकी EMI कम हो जाती है. इसके अलावा, बैंकों को RBI से कम दरों पर कर्ज मिलने के कारण उनके पास अधिक धनराशि होती है, जिससे वे डिपॉजिट रेट्स बढ़ाने का भी फैसला कर सकते हैं.
6.5% पर बरकरार है रेपो रेट
4 से 6 दिसंबर तक चली भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के बाद केंद्रीय बैंक RBI के गवर्नर लिए गए फैसलों की जानकारी दी है. केंद्रीय बैंक ने लगातार 11वीं बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. पहले से जो अनुमान जताया जा रहा था, वो सच साबित हुआ. ब्लूमबर्ग पोल में 25 इकोनॉमिस्ट्स में से 21 का मानना था कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा. बता दें कि रेपो रेट पिछली 11 पॉलिसीज से 6.5% पर बरकरार है.
आर्थिक सुधार की उम्मीद - दास
शक्तिकांता दास ने कहा कहा कि इंडस्ट्रियल गतिविधियों में अब सुधार की उम्मीद है. वहीं मॉनसून के खत्म होने के बाद सीमेंट, मेटल में सुधार की उम्मीद भी है.