
Jaipur News: राजस्थान के मशहूर अस्पतालों में से एक है जयपुर का सवाई मान सिंह (SMS Hospital viral video). राजधानी के लोगों से लेकर प्रदेश की आधी आबादी तक हर रोज यहां इलाज के लिए आते हैं. इन दिनों जयपुर का सवाई मान सिंह अस्पताल वायरल वीडियो की दुनिया में चर्चा में है. इस अस्पताल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. यह वीडियो इतना खौफनाक है कि जिसने भी इसे देखा उसकी रूह अंदर से कांप उठी.
कुत्ता इंसान का हाथ खाता हुआ आया नजर
सवाई मान सिंह अस्पताल के इस वीडियो में एक कुत्ता मानव अंग खाता हुआ नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि इंसान के हाथ का टुकड़ा अस्पताल के अंदर से उसके पास आया. शुक्रवार को सोशल मीडिया (Social media) पर यह वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया. अस्पताल के बाहर खड़े लोगों के मुताबिक कुत्ता अस्पताल से कोई मानव अंग लेकर आया है. यह घटना गुरुवार शाम की बताई जा रही है. इस पर अस्पताल के अधिकारियों ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि कटे हुए अंगों का प्रोटोकॉल के मुताबिक निपटान किया जाता है.
क्या बोले डॉक्टर?
SMS अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि "अस्पताल के बाहर का वीडियो वायरल होने के बाद इसकी जांच की गई जिसमें पता चला कि अस्पताल में सबसे ज्यादा अंग-विच्छेदन ट्रोमा सेंटर, जनरल सर्जरी, सीजीएस, इमरजेंसी वार्ड में किए जाते हैं. इन सभी विभागों के संबंधित कर्मियों से वीडियो के बारे में पूछताछ की गई. जिसके बाद पता चला कि गुरुवार को वहां कोई अंग-विच्छेदन नहीं हुआ था. लेकिन रात 11-12 बजे के बीच एक सर्जरी की गई थी. जिसका प्रोटोकॉल के अनुसार सुबह 7 बजे तक निपटारा कर दिया गया था. अस्पताल से कटे हुए शरीर के अंग के बाहर जाने के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है. उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों और अस्पताल के बाहर दुकानों पर मौजूद लोगों से भी पूछताछ की लेकिन उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई. साथ ही जब उन्होंने इस मामले को लेकर पुलिस से बात की तो उन्होंने भी कहा कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं आया. इस आधार पर अभी यह कहना मुश्किल है कि वह मानव शरीर का अंग था या नहीं.
खराब अंगों का निस्तारण करने का है प्रावधान
डॉक्टरों केअनुसार हॉस्पिटल में अगर कोई मरीज का अंग खराब होने पर काटा जाता है तो उसके निस्तारण की एक प्रक्रिया होती है. उसेबड़े ही ध्यान से मार्जरी में संबंधित अधिकारियों की देख रेख में रखवाया जाता है. बाद में उसे साइंटिफिक पद्धति के तारीके से डिस्पोज किया जाता है.
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