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This Article is From Sep 15, 2023

कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक पर बीजेपी लगा चुकी हैं सेंध?

Arun Harsh
  • विचार,
  • Updated:
    अक्टूबर 01, 2023 12:41 pm IST
    • Published On सितंबर 15, 2023 16:11 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 01, 2023 12:41 pm IST

प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर नागौर में जाटों को लेकर राजनीतिक गर्मी छाई हुई है, जहां एक ओर कांग्रेस की ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. उनके बीजेपी ज्वाइन करने के साथ ही केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय ने नावा स्टेशन पर दो ट्रेनों के रोकने की अनुमति दे दी.

आरएलपी और कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म करना चाहती है बीजेपी

दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है कि नागौर में हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के वर्चस्व को खत्म कर बीजेपी को इस बार पूरा मौका मिले. इस लक्ष्य को लेकर ज्योति मिर्धा को बीजेपी ज्वाइन करवाया और उनकी मांगों को तुरंत स्वीकृति भी दे दी गई है. क्षेत्र के लोग लंबे समय से ट्रेन रोकने को लेकर मांग कर रहे थे लेकिन यह राजनीति है कब किस करवट बैठे पता नहीं चलता है.

कांग्रेस की बी टीम कहलाने वाले RLP सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की अनुशंसा पर गहलोत सरकार ने 5.39 करोड़ रुपए सड़कों के लिए स्वीकृत कर दिए. उसके बाद केंद्र सरकार ने भी ज्योति मिर्धा के पार्टी ज्वाइन करने के बाद रेलों के ठहराव का आदेश निकाल दिया है.

विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर पार्टियां हुई एक्टिव

विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया, जो अपने पूरे कार्यकाल में प्रशासनिक अधिकारियों और खुद के क्षेत्र में विकास को लेकर लगातार मांग करते रहे, लेकिन सचिन पायलट गुट का होने का ठप्पा लगने के कारण उनके कार्य नहीं हो पा रहे थे, लेकिन अब विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर दोनों ही पार्टियों एक्टिव हो गई है और किसी भी तरह से जाट इलाके में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए जनता को खुश करने का प्रयास कर रही हैं.

ज्योति मिर्धा के बीजेपी में जाने के मिल गए थे संकेत

वैसे, डॉक्टर ज्योति मिर्धा के बीजेपी ज्वाइन करने के संकेत उस समय मिलने शुरू हो गए थे जब उनके खास सवाई सिंह और उनके पुत्र सिद्धार्थ सिंह वसुंधरा राजे के जोधपुर से खरनाल दौरे के दौरान साथ रहे थे. मिर्धा के बीजेपी ज्वाइन करने की सुगबुगाहट उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के खरनाल और मेड़ता दौरे के दौरान भी थी. मेड़ता में जब मारवाड़ के गांधी माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की आदमकद मूर्ति अनावरण में उपराष्ट्रपति धनकड़ आए थे, लेकिन उस समय बात नहीं बन पाई.

अब ज्योति मिर्धा के बीजेपी ज्वाइन करने से इस मामले का पटापेक्ष हो गया है. अब सवाल इतना बाकी है कि मिर्धा परिवार के बाकी लोग यानी रिछपाल सिंह मिर्धा,उनके विधायक पुत्र विजयपाल सिंह मिर्धा और कुचेरा के पालिकाध्यक्ष तेजपाल मिर्धा बीजेपी ज्वाइन करेंगे या कांग्रेस में ही रहेंगे.

मिर्धा के जाते ही अलग-अलग बयान सामने आने लगे

वहीं, नागौर के ज्योति मिर्जा के बीजेपी में शामिल होने पर कांग्रेस के अंदर भी अब अलग-अलग बयान सामने आने लगे हैं. जहां प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि उन्हें तो पहले से ही पता था. पिछले 4 साल से ज्योति मिर्धा कभी भी पार्टी संगठन के संपर्क में नहीं रही और न ही उसे क्षेत्र की समस्याओं को लेकर कभी कोई बात पार्टी में रखी.

खींवसर उपचुनाव हराने के लिए सौदेबाजी का आरोप

वहीं, कांग्रेस स्ट्रेटेजिक कमेटी के अध्यक्ष और विधायक हरीश चौधरी ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर सवाल खड़े किए और कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं पर हनुमान बेनीवाल से साठगांठ करने और कांग्रेस को खींवसर उप चुनाव हरवाने के लिए सौदेबाजी के आरोप लगाए हैं. 

उपचुनाव में सौदेबाजी हुई थी यह तो दुनिया ने देखी

हरीश चौधरी ने कहा कि खींवसर उपचुनाव का निष्पक्ष आकलन किया जाए तो पता चल जाएगा कि किसके इशारे पर उपचुनाव करवाया गया था. उपचुनाव की हार जांच का विषय है. खींवसर उपचुनाव में सौदेबाजी हुई थी यह तो दुनिया ने देखी, लेकिन ज्योति मिर्धा ने उपचुनाव में ईमानदारी से काम किया था, जिसका खामियाजा ज्योति मिर्धा को भुगतना पड़ा.

हरीश चौधरी ने कहा कि मारवाड़ कांग्रेस का कभी बहुत बड़ा गढ़ हुआ करती थी. उस मारवाड़ के पाली जालौर और सिरोही में आज कांग्रेस का नाम लेने वाला नहीं बचा है. हमारी पुरानी पीढ़ी ने मारवाड़ में बहुत मजबूत कांग्रेसी सौपी थी और आज कांग्रेस की क्या हालत बनी है. कांग्रेस की मारवाड़ में इस तरह की हालत किस कारण से हो रही है इस पर हमें सोचना चाहिए.

हनुमान बेनीवाल की पार्टी प्रायोजित पार्टी है

हरीश चौधरी ने कहा कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी प्रायोजित पार्टी है. नागौर में जाकर अगर पता करेंगे तो हर कोई बता देगा कि कौन प्रायोजित कर रहा है. उन्होंने गठबंधन के सवाल पर भी कहा कि कोई भी कांग्रेस का वर्कर बेनीवाल से गठबंधन करना तो दूर इस तरह की कल्पना भी नहीं कर सकता है. जिस तरह उन्होंने किया है उसमें कोई गठबंधन का प्रस्ताव रखने की हिम्मत भी रख सकता है क्या?


अरुण हर्ष राजस्थान के जोधपुर में पिछले 31 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में जुड़े हुए हैं. दैनिक जलते दीप से अपना करियर शुरू करने वाले भास्कर राजस्थान पत्रिका में भी कार्य कर चुके हैं. 2002 से एनडीटीवी के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपना करियर शुरू किया.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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