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Rajasthan Politics: राजस्थान की इन सीटों पर 28 साल बाद भी उपचुनाव का नहीं बदला ये ट्रेंड, विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी की हर बार हुई हार

पिछले 28 साल के दौरान झुंझुनूं जिले में चार विधायकों के सांसद बनने पर उप चुनाव हुए हैं तो दो चुनाव विधायकों के निधन के कारण हुए हैं. अब तक झुंझुनूं जिले में झुंझुनूं, सूरजगढ़, मंडावा, खेतड़ी विधानसभा सीट पर उप चुनाव हुए हैं.

Rajasthan Politics: राजस्थान की इन सीटों पर 28 साल बाद भी उपचुनाव का नहीं बदला ये ट्रेंड, विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी की हर बार हुई हार

Rajasthan Politics: राजस्थान की पिछले 28 साल से झुंझुनूं सीट पर हमेशा की तरह उपचुनाव का रिवाज इस बार भी बरकरार रहा. अब तक के चले आ रहे ट्रेंड में आम विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी का विधायक जीता, उपचुनाव में उस पार्टी की हार हुई. झुंझुनूं जिले में अब तक हुए 6 उपचुनाव को देखा जाए तो इनका परिणाम आम चुनाव के विपरीत ही रहा है. जिले में चार उप चुनाव विधायकों के सांसद चुने जाने पर हुए हैं. जबकि दो चुनाव विधायकों के निधन हो होने से रिक्त हुई सीटों पर हुए हैं. इन सभी चुनावों में विधानसभा चुनाव के समय जिस पार्टी का विधायक जीता. उप चुनाव में उस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. 

28 साल से एक रिवाज बरकरार

इनमें शीशराम ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं, संतोष अहलावत के सांसद बनने पर सूरजगढ़ व नरेंद्र कुमार खीचड़ के सांसद चुने जाने पर मंडावा में उप चुनाव हुए. वहीं अब बृजेंद्र ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं सीट पर उप चुनाव हुए हैं. इससे पहले 1988 में खेतड़ी के तत्कालीन विधायक मालाराम के निधन होने पर खेतड़ी में और 1982 में मंडावा के तत्कालीन विधायक लच्छुराम के निधन पर मंडावा में उप चुनाव हुए थे.

राजनीतिक जानकारी राधेश्याम भारती कहते हैं कि झुंझुनूं विधानसभा सीट से 1993 में शीशराम ओला कांग्रेस से विधायक चुने गए. उन्होंने भाजपा के सांवरमल वर्मा को 22898 मतों से हराया. 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में शीशराम ओला तिवाड़ी कांग्रेस से सांसद बन गए. इसके बाद 1996 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बृजेंद्र ओला को टिकट दिया. यहां भाजपा के डॉ. मूलसिंह शेखावत करीब 12500 से अधिक वोटों से जीत गए. कांग्रेस के बृजेंद्र ओला को हार का सामना करना पड़ा था. सूरजगढ़ में 2013 के चुनाव में भाजपा की संतोष अहलावत 50219 मतों के अंतर से विधायक चुनी गई. उन्होंने कांग्रेस के श्रवणकुमार को हराया.

विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद उपचुनाव में मिली हार

2014 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा की टिकट पर सांसद चुन ली गई. तब सितंबर 2014 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने यहां से डॉ. दिगंबर सिंह को टिकट दिया और कांग्रेस के श्रवण कुमार ने 3270 वोटों से जीत हासिल की. 2018 में मंडावा में भाजपा के नरेंद्र कुमार खीचड़ 2346 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस की रीटा चौधरी को हराया. इसके बाद 2019 में नरेंद्र कुमार खीचड़ सांसद चुन लिए गए. 

राधेश्याम भारती के मुताबिक, इसके अलावा जिले की दो विधानसभा सीटों पर विधायकों के निधन के बाद उप चुनाव हुए. उप चुनाव में आम चुनाव में जीती पार्टी उप चुनाव में अपनी सीट बरकरार नहीं रख पाई.

फिर उपचुनाव में भाजपा ने सुशीला सीगड़ा को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस की रीटा चौधरी से हार. रीटा चौधरी ने 33704 वोटों से जीत हासिल दर्ज की. अब बृजेंद्र ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं सीट पर उपचुनाव हुए थे. कांग्रेस ने अमित ओला को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे भी हार गए. जो ट्रेंड पिछले उपचुनाव का रहा. वहीं इस चुनाव में दिखा. यानी जिले में आम चुनाव में जिस पार्टी का विधायक जीता, उपचुनाव में उस पार्टी की हार हुई है.

खेतड़ी में 1985 में भाजपा के मालाराम विधायक चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस के नरेश पाल सिंह को 3266 वोटों के अंतर से हराया. उनके निधन के बाद 1988 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की. उप चुनाव में भाजपा के हजारीलाल गुर्जर को हार का सामना करना पड़ा था. तो वहीं 1980 के विधानसभा चुनाव में मंडावा से जनता पार्टी (सेक्यूलर) के लच्छूराम विधायक बने थे. उनके निधन के बाद 1982 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के रामनारायण चौधरी ने जीत हासिल की. 

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