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Rajasthan: देश-विदेश में दमक रहा भूणी के मूर्तिकारों का हुनर, तस्वीर देखकर बना देते हैं मूर्ति

मूर्तिकार कान्हाराम ने कहा कि घर-घर में मूर्ति बनाने का काम है, तो पत्थर को काटने पर धूल निकलती रहती है, जिससे सिलिकोसिस बीमारी बनती है. गांव के कई लोगों को सिलिकोसिस हो चुका है.

Rajasthan: देश-विदेश में दमक रहा भूणी के मूर्तिकारों का हुनर, तस्वीर देखकर बना देते हैं मूर्ति
डीडवाना जिले में भूणी गांव के मूर्तिकारों को पूरे देश में जाना जाता है

Rajasthan News: पत्थर को भी जब हाथों से तराशा जाता है तो उसमें भी भगवान के दर्शन हो जाते हैं. इसी कला के लिए राजस्थान के डीडवाना जिले में भूणी गांव के मूर्तिकारों को पूरे देश में जाना जाता है. गांव में 300 से ज्यादा लोग, मूर्तिकला के व्यापार से जुड़े हुए हैं और सभी 40 से ज्यादा कारखानों में पत्थरों को तराश कर मूर्तियां बनाने का काम करते हैं. इसके साथ ही कई लोग घरों में भी छोटी मूर्तियां बनाकर बेचते हैं. इसी वजह से डीडवाना के भूणी गांव को मूर्तिकारों का गांव भी कहते हैं. 

मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई विशाल मूर्ति

मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई विशाल मूर्ति

बड़े व्यापारी बनवाते हैं भूणी गांव में मूर्तियां 

यहां के मूर्तिकारों ने देशभर में मूर्तिकला को एक नई पहचान दी है. जयपुर सहित प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में मूर्तियों का व्यापार करने वाले बड़े व्यापारी भी आर्डर देकर भूणी गांव के कलाकारों से ही मूर्तियां बनवाते हैं. मकराना के संगमरमर के अलावा ग्राहकों की मांग अनुसार ये कारीगर बिजोलिया के पत्थर, भैंसलाना के काले पत्थर, करौली के लाल पत्थर, जैसलमेर के सुनहरे पत्थर और पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर से बेजोड़ मूर्तियां बनाते हैं.

फोटो देखकर बना देते हैं मूर्ति 

भूणी गांव के कलाकार हिन्दू देवी-देवताओं के अलावा जैन धर्म के तीर्थंकरों, महापुरुषों और शहीदों की मूर्तियों भी बनाते हैं. यहां पर कई लोग अपने पूर्वजों की मूर्तियां भी बनवाते हैं. भूणी के मूर्तिकार उनकी फोटो देखकर पत्थरों से हू-ब-हू वैसी ही मूर्ति तैयार कर देते हैं. इस गांव के हर गली मोहल्ले में मूर्तिया बनाई जाती है. 

हनुमान जी की मूर्ति बनाते हुए मूर्तिकार

हनुमान जी की मूर्ति बनाते हुए मूर्तिकार

गांव में हो रही सिलिकोसिस बीमारी 

गांव के मूर्तिकार ओम प्रकाश कुमावत ने बताया कि गांव में बिजली नहीं आने की समस्या रहती है. बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली काट ली जाती है. ऐसे में काम रुक जाता है. मूर्तिकार कान्हाराम ने कहा कि घर-घर में मूर्ति बनाने का काम है, तो पत्थर को काटने पर धूल निकलती रहती है, जिससे सिलिकोसिस बीमारी बनती है. गांव के कई लोगों को सिलिकोसिस हो चुका है. तमाम कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद भी सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों को जो मदद देती है, इस गांव के लोगों को कभी नहीं मिली. 

नहीं मिल रही सरकारी सुविधा 

गांव के लोगों का कहना है कि जागरूकता नहीं होने की वजह से कलाकारों को सरकार के मिलने वाली सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. संसाधनों और सुविधाओं के अभाव में भूणी गांव के मूर्तिकारों को अपना गांव छोड़कर आसपास के किसी कस्बे और शहरों में जाना पड़ रहा है. ऐसे में सभी गांव वालों की सरकार से अपील है कि वो इस गांव की सुध ले और इस हुनरमंद गांव के लोगों के लिए आवश्यक सुविधाओं का विकास करें.

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