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दिल्ली में अन्य राज्यों के जाति प्रमाण पत्र वालों को भी मिले कोटे का फायदा: High Court

Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएसबी को 'आरक्षित श्रेणी' में नौकरी न देने पर फटकार लगाई है. साथ ही जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी काम करने की बात कही है.

दिल्ली में अन्य राज्यों के जाति प्रमाण पत्र वालों को भी मिले कोटे का फायदा: High Court
Delhi High Court

Rajasthan News: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली "प्रवासियों" की है और इस आधार पर आरक्षण ( Reservation) का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि जाति प्रमाण पत्र दूसरे राज्य से जारी किया गया है. कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSB) की याचिका पर सुनवाई करते हुए की. इस मुद्दे पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेश को चुनौती दी गई थी.

छात्र की उम्मीदवारी को किया था रद्द

एक अभ्यर्थी ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से 'स्टाफ नर्स' की नौकरी के लिए आवेदन किया था. जिसे रद्द करते समय, उस छात्र की उम्मीदवारी को 'आरक्षित श्रेणी' (Reserve Categories) के तहत नहीं माना गया. क्योंकि उसके जरिए प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र राजस्थान का था. हालांकि, कैट ने अभ्यर्थी को राहत देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि उसे आरक्षित श्रेणी के तहत तुरंत नियुक्ति पत्र जारी किया जाए, बशर्ते वह अन्य सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो.

दूसरे राज्यों के छात्रों को आरक्षण से दूर करना 'घोर भेदभाव'- हाई कोर्ट

अपने ताजा फैसले में हाईकोर्ट (Delhi High Court)ने कहा कि अधिकारियों ने दिव्यांग व्यक्तियों (PWUD) श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जा रहा है, भले ही प्रमाण पत्र दूसरे राज्य ने जारी किया गया हो. कोर्ट ने आगे कहा कि दूसरे राज्यों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों को भी राष्ट्रीय राजधानी में नौकरी दी जा रही है और इसलिए दूसरे राज्यों के प्रमाण पत्र रखने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों को इस लाभ से वंचित करना "घोर भेदभाव" है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा, ‘‘इसमें कोई विवाद नहीं है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और प्रशासन चलाने के अलावा सभी उद्देश्यों के लिए यह प्रवासियों का है. इसलिए, किसी भी वर्ग को आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता.''पीठ ने आगे फैसला देते हुए कहा, ‘‘दिल्ली सरकार एक श्रेणी को आरक्षण दे रही है और दूसरी श्रेणी को इससे वंचित कर रही है, जो कि वर्तमान मामले में विचाराधीन श्रेणी के साथ सरासर भेदभाव है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.''

कैट के निर्देशों का हो पालन

उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में, अभ्यर्थी ने चयन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया था और एससी श्रेणी से अंतिम पायदान पर चयनित उम्मीदवार  के जरिए मिले 71 अंकों के मुकाबले 87 अंक प्राप्त किए थे.अदालत ने अप्रैल में पारित कैट के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि अधिकरण ने यह मानने में कोई गलती नहीं की थी कि उम्मीदवार अनुसूचित जाति श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में 'स्टाफ नर्स' के पद पर नियुक्ति के लिए हकदार था.इसी के साथ बैंच ने याचिका को खारिज करते हुए, अधिकारियों को चार सप्ताह के अंदर कैट के निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया.

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