Athlete Pani Devi News: कहते हैं कि मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. नोखा तहसील के अणखीसर गांव हाल बीकानेर (Bikaner, Rajasthan) के चौधरी कॉलोनी में रहने वाली 92 साल की महिला पानी देवी गोदारा ने इस कहावत को साकार किया है और युवाओं के सामने एक मिशाल पेश की है. पाना देवी ने हाल ही में पुणे में आयोजित 44वीं नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2024 में भाग लेकर तीन गोल्ड मेडल (100मी दौड़, गोला फेंक, तश्तरी फेंक) जीते हैं. पाना देवी अब वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने के लिए अगस्त में स्वीडन जाएंगी.
क्या है पाना देवी के सेहत का राज?
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि फास्ट फूड, डिब्बा बंद खाना और ठंडे पानी का उन्होंने कभी सेवन तक नहीं किया है. यही उनकी सेहत का असली राज है. सुबह जल्दी उठना और घर के काम में मदद करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. उन्होंने वर्षों से कोई मेडिसिन भी नहीं ली है. अपनी सेहत और कामयाबी का मूल मंत्र अच्छा खान-पान और नशे से दूर रहना बताया.
उन्होंने बताया की वे 92 की उम्र में अपना काम खुद करती है और घर में पशु भी हैं और उनकी भी देखरेख वे खुद करती हैं. वे बताती हैं कि रोज़ाना 2 घंटे मैदान में प्रैक्टिस के लिए देना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. उनके पोते जयकिशन भी एथलीट के कोच हैं. पानी देवी प्रतिदिन अपने पोते के साथ मैदान जाती हैं और उनके स्टूडेंट्स के साथ खुद भी अभ्यास करती हैं.
स्टेडियम देख प्रभावित हुईं दादी
92 वर्षीय पानी देवी गोदारा के पौत्र जय किशन गोदारा ने अपनी दादी को खेलने के लिए प्रेरित किया था. जय किशन ने बताया कि वे खुद नेशनल खिलाड़ी और कोच हैं. वे एक दिन अपनी दादी को साथ लेकर स्टेडियम गए और वहां पानी देवी ने स्पोर्ट्स का नजारा देखा तो वे बड़ी प्रभावित हुई. उस दिन के बाद दादी वे हमेशा करणी सिंह स्टेडियम आने लगी. जयकिशन ने अपनी दादी का हौसला बढ़ाया और वे आज वे इस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं.
कई लोगों के लिए बनीं प्रेरणास्रोत
नेशनल गेम्स एक्टिविटी में हिस्सा लेकर लौटीं पानी देवी अब गांव की महिलाओं को गेम्स एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित कर रही हैं. उनके पोते जय किशन गोदारा ने बताया कि दादी की उपलब्धि के बाद गांव की महिलाएं उनसे मिलने के लिए आने लगीं हैं. गोदारा ने बताया कि 5 बेटों और तीन बेटियों की मां पाना देवी बिल्कुल स्वस्थ हैं. उन्होंने इस उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर उन लोगों के लिए मिशाल पेश की, जो ये सोचते हैं कि बुजुर्ग होने के बाद इन्सान को खामोश होकर बैठ जाना चाहिए.
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