Jodhpur News: राजस्थान के जोधपुर में एक पांच साल के मासूम के माता- पिता ने इंसानियत की मिसाल पेश की है. उसके माता-पिता के एक फैसले ने उसे दुनिया से जाने के बाद भी जिंदा रखा है. यह घटना बालोतरा जिले के गिड़ा गांव की है, जहां 5 साल के भोमाराम को इलाज के लिए AIIMS जोधपुर लाया गया था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था.
AIIMS में चल रहा था मिर्गी की बीमारी का ईलाज
मिर्गी से पीड़ित भोमाराम को रविवार को AIIMS के डॉक्टरों ने इलाज के दौरान ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. जब परिवार को यह खबर मिली, तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. एक तरफ वे अपने बेटे के ठीक होने का इंतजार कर रहे थे, वहीं इस खबर ने उन्हें अंदर तक हिला दिया. वहीं डॉक्टरों की टीम ने परिवार को एक ऐसा रास्ता दिखाया जिससे किसी और की जान इस दर्द से बचाई जा सके. उन्होंने परिवार को भोमाराम के अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया.
“नन्हें भोमा राम की जीवन-यात्रा भले ही छोटी रही, पर उनका संदेश जीवनदायी बन गया।”
— AIIMS Jodhpur (@aiims_jodhpur) December 22, 2025
ब्रेन डेथ के बाद भोमा राम के परिवार द्वारा किया गया बाल अंगदान कई मरीजों के लिए आशा और जीवन का आधार बना।
एम्स जोधपुर इस अनुपम साहस और मानवीय संवेदना को सादर नमन करता है।#अंगदान_महादान… pic.twitter.com/j8lPdeabtC
ब्रेन डेड के बाद डॉक्टरों ने दी माता पिता को अंगदान की सलाह
डॉक्टरों की सलाह मानकर भोमाराम के माता-पिता ने यह बड़ा फैसला लिया. इसके बाद, मेडिकल गाइडलाइन के अनुसार अलग-अलग संस्थाओं से संपर्क करके प्रोसेस पूरा किया गया. फिर भोमाराम का लिवर दिल्ली भेजा गया, जबकि उसकी दोनों किडनी जोधपुर AIIMS में दो ज़रूरतमंद मरीज़ों को ट्रांसप्लांट की गईं. इस तरह एक मासूम बच्चे की ज़िंदगी तो रुक गई, लेकिन तीन लोगों की ज़िंदगी में नई धड़कन शुरू हो गई.
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