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This Article is From Nov 30, 2023

नवजीवन संस्थान की छांव में बसा 5 दुल्हनों का परिवार, यहां अनाथ बेटियों का संवरता है जीवन

नवजीवन संस्थान में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है. बच्चियों को स्वावलंबी बनाने के लिए फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटिशन जैसे कोर्स भी कराए जाते हैं.

नवजीवन संस्थान की छांव में बसा 5 दुल्हनों का परिवार, यहां अनाथ बेटियों का संवरता है जीवन
नवजीवन संस्थान द्वारा कराई गई सामूहिक विवाह की तस्वीर.

जोधपुर: अपनायत की नगरी जोधपुर में फिर एक बार अपनत्व और समर्पण की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. जिन बेटियों को कभी अपनों ने ही ठुकरा दिया था, आज उन 5 अनाथ बेटियों के लिए उनका घर परिवार नवजीवन संस्थान बना. यहां पली-बढ़ी पांचों बेटियां का अब हिंदू रीति रिवाज के साथ विवाह के बंधन में बंध विदा होने जा रही है.

सोमवार को जहां हल्दी की रस्म हुई, तो वहीं बुधवार को महिला संगीत का भी आयोजन किया गया. जिसमें जोधपुर के पूर्व नरेश महाराजा गज सिंह के साथ ही राजस्थान राज्य बाल कल्याण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल भी इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी. अब उनके पुत्र व संस्थान के प्रभारी राजेंद्र परिहार इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. जहां अब 1 दिसंबर को यह पांच बेटियां दुल्हन के रूप में सात फेरे लेकर यहां से विदा होगी.

नवजीवन संस्थान के संस्थापक स्वर्गीय भगवान सिंह परिहार भी इससे पूर्व 20 अनाथ बेटियों का विवाह करवा चुके हैं.

बीते 27 नवंबर को हल्दी-मेहंदी कार्यक्रम के बाद 29 नवंबर को महिला संगीत और 1 दिसंबर को इन बेटियों का विवाह संपन्न किया जायेगा. संस्थान संचालक राजेंद्र परिहार ने बताया कि पांच में से चार बेटियों की बारात जोधपुर से आए‌गी जबकि एक की सांचौर से आएगी. चार दूल्हे माहेश्वरी परिवार से हैं जो व्यवसाय से जुड़े हैं. इनमें से एक बेटी का कन्यादान वह खुद करेंगे, जबकि अन्य 4 का कन्यादान पूर्व अधिकारी और उद्योगपति करेंगे. इनमें एक ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है. दो ब्यूटिशन, एक ग्रेजुएट और एक मूक बधिर है.

संस्थान के प्रभारी राजेंद्र परिहार ने बताया कि हमारे संस्थान में जिन बच्चों को गोद नहीं लिया जाता है वह यहीं पर अपनी पढ़ाई पूरी कराती हैं और स्कूल व कॉलेज जाती है. और जब उनकी विवाह की उम्र हो जाती है तो संस्थान उनका विवाह भी करवाता है. पिछले 1 महीने से पूरे संस्थान में शादी का माहौल बना हुआ है. सभी में उत्साह भी देखने लायक है.

नवजीवन संस्थान से अब तक कारा (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के माध्यम से 39 विदेशी दंपत्ति यहां से भारतीय बच्ची को गोद ले चुके हैं. जो आज बेहतर जीवन जी रहे है.

प्रभारी राजेंद्र परिहार ने बताया कि हमारी यह संस्थान गवर्मेंट हेड से नहीं बल्कि जोधपुर के आम नागरिकों के सहयोग से चलती है. जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह हमारे इस संस्थान से पूर्व से जुड़े हुए हैं. इसी के साथ ही राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल भी इस कार्यक्रम की गवाह बनी है.

परिहार ने बताया कि हमारे यहां जो बच्चे पालने में आते है उन्हें एक महीने बाद ही हम गोद देते हैं. वहीं जो बच्चे गोद नहीं जा पाते हैं. उन बच्चों को पढ़ने के साथ ही स्कूल-कॉलेज की शिक्षा भी यह संस्थान करवाता है और विवाह होने की उम्र तक उनका विवाह भी करवाते हैं.

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