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जालोर के किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, सैकड़ों हेक्टेयर खड़ी फसल हुई बर्बाद, जानें वजह

किसानों द्वारा नर्मदा विभाग के अधिकारियों से नहर की साफ़-सफ़ाई और नहर की मरम्मत करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इस कारण नहर बार-बार टूट जाता है, जिससे किसानों की खड़ी फसल चौपट हो रही है.

जालोर के किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, सैकड़ों हेक्टेयर खड़ी फसल हुई बर्बाद, जानें वजह
प्रतीकात्मक तस्वीर

सांचोर ज़िले की जीवनदायिनी नदी नर्मदा नहर वहां के किसानों के लिए इन दिनों सबसे बड़ी सिरदर्द बन चुकी है. पिछले कुछ दिनों से लगातार नर्मदा नहर टूटने से किसानों के खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो रही है. समय पर नहर साफ़-सफ़ाई नहीं होने के चलते बार-बार नहर टूटने खेतों में खड़ी ज़ीरा, गेहूं समेत अन्य फ़सलें जलमग्न हो करके बर्बाद हो चुकी है.

किसानों द्वारा नर्मदा विभाग के अधिकारियों से नहर की साफ़-सफ़ाई और नहर की मरम्मत करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इस कारण नहर बार-बार टूट जाता है, जिससे किसानों की खड़ी फसल चौपट हो रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार सुबह नर्मदा नहर के केरिया वितरिका टूटने से तीन घंटे पानी बहने से आस पास के खेतों में पानी का भराव हो गया. खेतों में खड़ी फसलों में पानी भरने फसलों को खासा नुकसान हुआ. पिछले दो माह में करीब चार बार वितरिकाएं टूट चुकी हैं, लेकिन विभाग नहर की साफ-सफाई को लेकर संजीदा नही है.

नर्मदा विभाग की लापरवाही से नर्मदा नहरों में पानी छोड़ने के बाद उसकी नियमित पेट्रोलिंग और साफ-सफाई नहीं होने के कारण लगातार माइनर ओवरफ्लो होकर टूट रही हैं. सोमवार को माइनर के टूटने के बाद भी विभाग को सूचना दी गई, जिसके बाद नहर में पानी सप्लाई बंद हुई.

पीड़ित किसानों ने बताया कि नहर का पानी खड़ी फसलों में घुसने से करीब 40 हेक्टेयर जीरा, 35 हेक्टेयर रायड़ा और 50 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल में पानी के भराव से फसल खराब हो गई है.

पहले भी कई बार टूट चुकी नहर की वितरिका

गौरतलब है गत 30 जनवरी को ओवरफ्लो होने के चलते इसरोल वितरिका टूट गई थी, जिससे करीब 70 हेक्टेयर में जीरा और रायड़ा की फसलों को नुकसान हुआ था. इससे पहले,  21 जनवरी काछोला माइनर से पानी ओवरफ्लो होने से भी कई हैक्टेयर में फसलें चौपट हुई थी.

गत 4 फरवरी को सांगड़वा माइनर वितरिका टूट जाने से तीन घंटे तक पानी बहता रहा, जिससे 100 हेक्टेयर से अधिक जीरे की फसल चौपट हुईं. वहीं, 15 फरवरी को भी इसरोल माईनर टूटने से 20 हेक्टेयर फसल चौपट हो गई.

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