
Rajasthan News: राजस्थान में अभी भी कई जगहों पर जातीय भेदभाव की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इस बीच अजमेर जिले के श्रीनगर निवाली दलित समाज के विजय रैगर ने अपनी शादी की बारात घोड़ी पर बैठकर निकाली. उन्होंने लवेरा गांव के रहने वाले नारायण खोरवाल की बेटी अरुणा से शादी की है. शादी की पूरी रस्म के दौरान भारी संख्या में पुलिस तैनात रही. ताकि किसी भी प्रकार की जातीय हिंसा या विरोध को रोका जा सके. जब दलित समाज का दूल्हा घोड़ी पर बैठकर निकला तो उस गांव के लिए अपने आप में किसी ऐतिहासिक घटना से कम नहीं थी.
20 साल पहले गांव में हुआ था विरोध
दरअसल, जिस लवेरा गांव में सैंकड़ों की संख्या पुलिस के साए बारात निकली. वहां 20 साल पहले नारायण की बहन सुनीता की शादी खरवा निवासी दिनेश के साथ हुई थी. जब दिनेश की बारात गांव में निकाली जा रही थी. तब गांव के ही कुछ लोगों ने (गुर्जर समाज) दिनेश को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया था. दिनेश ने जीप में बैठकर ही तोरण मारी थी. उस वक्त भी वर वधु-पक्ष ने जिला प्रशासन को सूचना दी थी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी उस वक्त मौजूद था.

मगर तनावपूर्ण माहौल के चलते दिनेश को घोड़ी पर बैठने का मौका नहीं मिला. दिनेश और सुनीता ने बताया कि बीस साल पहले इस गांव में सामाजिक रीति-रिवाजों में बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता था. राजस्थान के कई गांवों में आज भी दलितों को शादी समारोह में घोड़ी पर बैठने से रोका जाता है. मगर आज उनके परिवार में तमाम रीति रिवाज के साथ शादी हुई है, जिससे वह खुश हैं.
विवाद के बाद प्रशासन का हस्तक्षेप
उधर जब श्रीनगर के निवासी विजय रैगर ने घोषणा की कि वह अपनी शादी में घोड़ी पर बैठेंगे. इस पर स्थानीय दबंग जातियों द्वारा विरोध की आशंका जताई गई. विजय के इस फैसले के बाद विवाद इतना बढ़ गया कि प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा.
वधू के घर के आसपास बैरिकेड
विजय की बारात में सैकड़ों पुलिसकर्मी वधू के घर तक पहुंचे. विरोध की संभावना को देखते हुए पुलिस ने वधु के घर के आसपास बैरिकेड लगा दिया. शादी की पूरी रस्म के दौरान एडिशनल एसपी ग्रामीण दीपक कुमार शर्मा समेत भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने कहा कि पुलिस को शिकायत मिली थी, जिसमें 2005 में दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने की घटना का हवाला दिया गया था.

इसी के चलते इस शादी समारोह में भी बिंदोरी निकालने के दौरान असामाजिक तत्व द्वारा कोई दिक्कत डाल सकते हैं. जिस पर स्थानीय पुलिस प्रशासन ने ग्रामीण और वर वधु पक्ष के लोगों से बातकर लगभग 100 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी, जिसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं.
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