Rajasthan News: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वी जयंती है, जिसे भारतीय जनता पार्टी 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाती है. इस खास अवसर पर राजस्थान की राजधानी जयपुर में जन्म शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मठन राठौड़, डिप्टी सीएम दिया कुमारी, डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा समेत बीजेपी के कई दिग्गज नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए.
रेलवे स्टेशन पर खाया था खाना
इस दौरान मदन राठौड़ ने कहा, 'वर्ष 1971 में अटल बिहारी वाजपेयी पाली आए थे. वो समय राजस्थान में विधानसभा चुनाव का था. तब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था और उस दिन अटल बिहारी को छोड़ने भाजपा प्रत्याशी के साथ रेलवे स्टेशन गया था. स्टेशन पर पहुंचकर भाजपा प्रत्याशी ने वाजपेयी से पूछा कि आपने खाना खाया? तब अटल बिहारी ने पलटकर कहा कि आपने पूछा ही नहीं. तब मुझे विधायक प्रत्याशी संपतमल के घर से टिफिन में खाना पैक कराकर लाने के लिए भेजा गया. उस दिन अटल बिहारी वाजपेयी ने रेलवे के रिटायरिंग रूम के अंदर खाना खाया था.'
Live:- भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी जन्म शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी समारोह#AtalJanmShatabdihttps://t.co/rpTqEOnWdi
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) December 25, 2024
वाजपेयी ने पूछा- फिनी मिठाई लाया?
भारत में लगी इरमजेंसी हटने के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने, तब मैं जयपुर में उप जिला प्रचारक था. उस वक्त मैं उनसे मिलने गया था. तब उन्होंने पूछा कि आजकल क्या कर रहे हो. मैंने उन्हें बताया कि सांभर में हूं और भाजपा में उप जिला प्रचारक के तौर पर काम कर रहा हूं. फिर उन्होंने मुस्कुराकर पूछा कि फिनी मिठाई लाया के नहीं. उन्हें मिठाई खाने का बहुत शौक था. इसके बाद तो उनसे कई बार मिलना हुआ.'
'अटल ने बीजेपी को वटवृक्ष बनाया'
जिस वक्त कश्मीर आंदोलन हुआ. उस वक्त इनरलाइन परमिट लेकर ही कोई व्यक्ति कश्मीर जा सकता था. उस वक्त डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने यह तय किया था कि वे बिना परमिट के जाएंगे. तब अटल बिहारी वाजपेयी और दीन दयाल उपाध्याय भी उनके साथ चल दिए. यह देखकर मुखर्जी ने कहा कि मैं जिंदा लौटूंगा या नहीं, ये पता नहीं है. इसीलिए आप लौट जाओ. आपको भारतीय जनसंघ को मजबूत करना है, और इस देश में शासन करने की स्थिति बनानी है. बाद में मुखर्जी का वहां बलिदान हो गया. लेकिन इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी और दीन दयाल उपाध्याय ने वो करके दिखाया जो आदेश मुखर्जी उन्हें देकर गए थे. अटल बिहारी ने बीजेपी को वटवृक्ष के समान बनाया. भारत की इकोनॉमी को सुधारा. देश को शक्तिशाली बनाने के लिए प्रतिबंधों की चिंता नहीं की.
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