Bangladesh Political Crisis: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासी संकट की वजह से वहां हालात काफी गंभीर हैं. बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद देश को काफी नुकसान होने वाला है. इसमें बांग्लादेश के गारमेंट इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ने वाला है. क्योंकि बांग्लादेश की राजधानी ढाका में गारमेंट एक्सपोर्ट का काम काफी बड़े पैमाने पर होता है. हालांकि बांग्लादेश पर आई इस आपदा के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर के गारमेंट इंडस्ट्री के लिए बड़ा अवसर बन गया है.
बांग्लादेश में काफी समय से सियासी उठापटक का दौर चल रहा था. माना जा रहा है कि जयपुर की गारमेंट इंडस्ट्री इसे भांपते हुए तैयारी में जुट गई थी. जैसे ही बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है जयपुर गारमेंट उद्योग ने ढाका का विकल्प बनने की दिशा में क़दम उठा दिए हैं.
ढाका के बजाए जयपुर से हो रही डिमांड
जयपुर में सीतापुरा में गारमेंट की फैक्ट्री चलाने वाले अनिल शाह बताते हैं, व्यापारी हालातों की आहट भांपा जाता है. लिहाज़ा उन्होंने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी और काफ़ी समय से उनके पास अमेरिका यूरोप और जापान से डिमांड आना शुरू हो गई थी. पिछले 7 दिन से उनके पास ऑर्डर भी आना शुरू हो गए हैं. खासतौर पर क्रिसमस और उसके बाद समर के लिए इतनी ऑर्डर आ गए हैं कि उन्हें अतिरिक्त लेबर के साथ काम के घंटे बढ़ाने पड़े हैं. यानी अभी तक जो माल ढाका से सप्लाई होता था उसकी डिमांड अब जयपुर में होने लगी है.
जयपुर के लिए खुले अंतरराष्ट्रीय बाजार के दरवाजे
जयपुर के दो पीढ़ियों से रेडीमेड गारमेंट सेक्टर में काम कर रहे व्यापारी रामावतार का कहना है कि बांग्लादेश में अशांति और अस्थिरता के माहौल में निवेशकों ने पहले से ही हाथ खींचने शुरू कर दिए थे. यही वजह है कि ढाका के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार अब जयपुर को विकल्प के रूप में दिखने लगा है. इसकी वजह जयपुर के कच्चे माल और लेबर की उपलब्धता के साथ-साथ कम दाम में बेहतर क्वालिटी भी मिलता है. इसके अलावा जयपुर की लेडीज़ कुर्ती जयपुरी चद्दरें और रज़ाई पहले से विश्व विख्यात हैं. लेकिन अभी तक रेडीमेड गारमेंट में ढाका सबसे बड़ी मंडी बना हुआ था. लेकिन जयपुर में पिछले कुछ सालों से शर्ट, ट्राउजर, टी शर्ट की मैन्युफैक्चरिंग बड़े स्तर पर होने के बाद अब समय आ गया है जब जयपुर की गारमेंट इंडस्ट्री के लिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के दरवाज़े खुल गए हैं.
ढाका में हालात सुधरने में लगेगा समय
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के साथ चटगांव और आस पास के इलाकों में 5 हज़ार से ज़्यादा फैक्ट्रियों में गारमेंट कपड़ों को बनाने का काम होता है. जिसमें अधिकांश की सप्लाई अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में की जाती थी. बांग्लादेश में सियासी माहौल बिगड़ने से पहले रोजाना सवा लाख टी शर्ट बनने लगी थी. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को यही से टी-शर्ट की सप्लाई होती थी. लेकिन अब इन बड़ी कंपनियों को लग रहा है कि ढाका में आने वाले कई महीनों तक हालात सुधरने की संभावना नहीं है. लिहाज़ा है ढाका की बजाए ऑर्डर भारत और ख़ासतौर पर जयपुर की इंडस्ट्री को मिलने लगे हैं.
भले ही जयपुर की गारमेंट इंडस्ट्री के लिए यह बड़ा अवसर हों लेकिन ढाका का विकल्प बनने के लिए यहां की इंडस्ट्री को बहुत तैयारी करनी होगी. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के डिमांड पूरी करने के लिए जयपुर में गवर्मेंट इंडस्ट्री को अपना दायरा बढ़ाना होगा और आधुनिक तकनीक के साथ क्वालिटी की दिशा में भी और काम करने की दरकार है. लेकिन इस तरह के अवसर ही नई संभावनाओं को जन्म देते हैं.