खेती-किसानी कर परिवार चलाने वाले कृष्णमुरारी चौधरी के परिवार में आज जश्न का माहौल है. हो भी क्यों ना... परिवार का बेटा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली UPSC को क्रेक कर IES ऑफिसर जो बन गया है. कहानी राजस्थान के छोटे से जिले बारां से सामने आई है. लेकिन इसकी प्रेरणा लेकर कई यूथ आगे बढ़ सकते हैं. दरअसल बारां जिले के चैनपुरिया गांव निवासी कृष्ण मुरारी चौधरी और निर्मला चौधरी के पुत्र मयंक चौधरी ने यूपीएससी की इंजीनियरिंग सेवा (UPSC Engineering Service Examination 2024) में 44वीं रैंक हासिल की है और IES बन गए हैं.
मयंक चौधरी के पिता एक किसान है और माता गृहिणी हैं. मयंक ने बारां से पढ़ाई करने के बाद कोटा में तैयारी की और पहले ही प्रयास में आईआईटी के लिए चयनित हुए. मगर बेहतर रैंक के लिए उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और आईआईटी मुंबई से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.
बारां, कोटा और फिर आईआईटी
राजकीय सीनियर सैकंडरी विद्यालय सहरोद की अध्यापिका निर्मला चौधरी ने बताया कि मयंक ने 2015 में बारां केंद्रीय विद्यालय से 10वीं परीक्षा पास की. इसके बाद कोटा में बंसल क्लासेज से तैयारी में जुट गया, जहां उसने पहले प्रयास में ही आईआईटी इंदौर सिविल ब्रांच में सलेक्शन ले लिया. लेकिन रैंक ज्यादा होने के कारण उसने दोबारा प्रयास किया और वर्ष 2018 में आईआईटी मुंबई से सिविल की डिग्री पासआउट की. इसके बाद वो दिल्ली में साकेत स्थित मेडिजी क्लासेज से यूपीएससी की तैयारी में जुट गया.
पहले हुआ था IOCL में चयन
अध्यापिका ने आगे बताया कि इस दौरान मयंक ने सर्वप्रथम यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा दी जिसमें पहले प्रयास में ही प्री और मेन्स क्लियर किया, लेकिन इंटरव्यू में कुछ कमी होने की वजह से उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद मयंक ने फिर प्रयास किया और इस बार यूपीएससी इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा 2024 में 44वीं रैंक हांसिल की. इसमें उनको IES का पद प्राप्त हुआ.
पिता कृष्णमुरारी चौधरी और माता ने बताया कि मयंक शुरू से ही सौम्य स्वभाव का है और हमें बेहद खुशी है कि उसने ये मुकाम अपनी मेहनत से हासिल किया है. कृष्णमुरारी चौधरी ने बताया कि मयंक का IOCL( Indian Oil Corporation Limited) में भी चयन हो गया था. जिसके बाद उसने गुजरात के बडोदरा में 5 नवंबर को बतौर मार्केटिंग ऑफिसर के रूप में ज्वाईन किया था.