
Rajasthan News: राजस्थान में बाड़मेर जिले के चौहटन की रहने वाली शांति देवी (58) ने अपनी मौत के बाद भी दूसरों को जीवन देकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया. करीब एक महीने पहले शांति देवी को ब्रेन हेमरेज हुआ था, जिसके चलते उन्हें राजकीय अस्पताल और फिर जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया. पिछले दस दिनों से उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी. जिसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया.
चार अंगों का दान, तीन लोगों को मिली जिंदगी
शांति देवी के परिवार ने उनके ब्रेनडेड होने के बाद अंगदान का साहसी फैसला लिया. जिसमें उन्होंने उनका लिवर, किडनी और हार्ट सहित चार अंग दान करने का निर्णय लिया. इनमें से तीन अंग सफलतापूर्वक जरूरतमंद मरीजों के प्रत्यारोपण में उपयोग किए गए. जिससे तीन लोगों को नई जिंदगी मिली. हालांकि हार्ट का उपयोग नहीं हो सका.

शव यात्रा पर फूलों की वर्षा करते हुए लोग.
अंगदान के बाद शांति देवी के शव को जब घर लाया गया तो बाजार में उनके अंतिम सफर में शामिल एंबुलेंस पर लोगों ने फूलों की बारिश की. "शांति देवी अमर रहें" के नारों के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. जिससे पूरे इलाके में सम्मान और गर्व का माहौल बन गया.
परिवार ने दिखाई उदारता और मानवता
शांति देवी के बेटे ने कहा कि मां के ब्रेनडेड होने के बाद उनके अंगदान से किसी को नई जिंदगी मिले, यह हमारे लिए गर्व की बात है. उनके देहांत के बाद भी उनका नाम अमर रहेगा. शांति देवी के परिवार का मुख्य व्यवसाय ज्वैलरी का है. उनके परिवार में पति भेराराम और दो बेटे हैं.
शांति देवी के परिवार ने अपने फैसले से समाज में यह संदेश दिया कि अंगदान न केवल किसी को नई जिंदगी दे सकता है, बल्कि जीवन के बाद भी अमरत्व प्राप्त करने का सबसे बड़ा कार्य है. उनके इस कदम ने मानवता की असली मिसाल पेश की है.
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