Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान की रेत से अब तेल रूपी 'सोना' निकलने वाला है. करीब 12 साल के लंबे इंतजार के बाद, बाड़मेर की रिफाइनरी (Barmer Refinery) आखिरकार हकीकत बनने जा रही है. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) ने ऐलान किया है कि HPCL की रिफाइनरी इस साल दिसंबर माह में शुरू कर दी जाएगी. इस रिफाइनरी को राजस्थान की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है. यह विशाल परियोजना लगभग 72,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही है, जो प्रदेश में निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी. मुख्यमंत्री शर्मा ने हाल ही में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात करके इस परियोजना की प्रगति रिपोर्ट सौंपी हैं. साथ ही साथ उन्हें रिफाइनरी के उद्घाटन के लिए आमंत्रित भी किया है.
'राज्य सरकार की 26% हिस्सेदारी'
मुख्यमंत्री शर्मा ने हाल ही में कोलकाता दौरे के दौरान प्रवासी राजस्थानियों से संवाद करते हुए इस बात की पुष्टि की. उन्होंने कहा, 'डाउनस्ट्रीम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान पेट्रो जोन विकसित किया जा रहा है, जिसमें 11 ब्लॉकों में काम शुरू हो चुका है. यह रिफाइनरी राजस्थान के विकास के लिए माइलस्टोन साबित होगी. राज्य सरकार की इसमें 26 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि यह हजारों प्रत्यक्ष और लाखों अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगी, जिसका सीधा लाभ बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर के युवाओं को मिलेगा.'

Photo Credit: NDTV Reporter
पेट्रोकेमिकल उत्पाद भी बनाए जाएंगे
यह परियोजना सिर्फ पेट्रोल और डीजल तक सीमित नहीं है. रिफाइनरी से पेट्रोकेमिकल उत्पाद भी बनाए जाएंगे, जिनसे प्लास्टिक, फाइबर, डिटर्जेंट और अन्य औद्योगिक वस्तुएं तैयार होंगी. रिफाइनरी से जुड़ा रेलवे नेटवर्क लगभग पूरा हो चुका है। सड़कों और बिजली आपूर्ति की बड़ी परियोजनाएं भी तैयार हैं. डाउनस्ट्रीम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए राजस्थान पेट्रो जोन में जमीन आवंटन शुरू हो चुका है. जयपुर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि उन्हें सीधा रोजगार मिल सके.

Photo Credit: NDTV Reporter
2013 से 2025: रिफाइनरी की पूरी राजनीतिक दास्तानबाड़मेर रिफाइनरी की कहानी केवल विकास की नहीं, बल्कि लंबी राजनीतिक खींचतान की भी दास्तान है. पहला शिलान्यास साल 2013 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 37,000 करोड़ की लागत वाली रिफाइनरी का शिलान्यास किया था. तब भाजपा ने इसे चुनावी स्टंट कहा था. सत्ता बदलते ही, वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कांग्रेस के मॉडल को 'वित्तीय बोझ' वाला बताकर परियोजना रोक दी. साल 2017 में नया वित्तीय मॉडल लाया गया, जिससे राज्य का वित्तीय बोझ 56,000 करोड़ से घटकर 40,000 करोड़ हुआ. साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित 43,129 करोड़ के प्रोजेक्ट का औपचारिक शुभारंभ किया. कांग्रेस ने इसे 'पुनः शिलान्यास' कहा. फिर कांग्रेस सरकार आई और अशोक गहलोत सरकार ने इसे 'ड्रीम प्रोजेक्ट' बताया, लेकिन कोविड-19 और प्रशासनिक कारणों से काम अपेक्षित गति नहीं पकड़ सका. वर्तमान भाजपा सरकार का दावा है कि 95% काम पूरा हो चुका है और दिसंबर से संचालन शुरू हो जाएगा. कांग्रेस का पलटवार है कि 90% काम उनके कार्यकाल में ही पूरा हुआ था.

Photo Credit: NDTV Reporter
पश्चिमी राजस्थान की किस्मत बदलने का रास्ता खोलेगीइसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था के लिए यह रिफाइनरी माइलस्टोन साबित होगी. एक तरफ यह राज्य को पेट्रोकेमिकल हब बनाएगी, वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी राजस्थान की किस्मत बदलने का रास्ता खोलेगी. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि दिसंबर का महीना राजस्थान के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है. एक तरफ सरकार की दूसरी वर्षगांठ और दूसरी तरफ बाड़मेर रिफाइनरी का आगाज. 12 साल के लंबे इंतजार के बाद अब उम्मीदों का तेल आखिरकार रेतीली धरा से निकलने वाला है.
ये भी पढ़ें:- "इतने जूते पड़ेंगे कि गिनती..." छात्र की मौत पर करणी सेना की स्कूल को धमकी, 50 लाख और सरकारी नौकरी की मांग
यह VIDEO भी देखें