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Rajasthan: भरतपुर की इस नदी पर बने खेत और घर, पानी रुकने से ग्रामीणों की बढ़ी बैचेनी; बेहाल होकर प्रशासन पर फूटा गुस्सा

Rajasthan News: भरतपुर जिले के भुसावर में बाणगंगा नदी 25-30 सालों से सूखी पड़ी है, अब लोगों ने उस पर घर और खेत बना लिए हैं, लेकिन अब प्यास के दर्द ने लोगों को इसके लिए आवाज उठाने पर मजबूर कर दिया है.

Rajasthan: भरतपुर की इस नदी पर बने खेत और घर, पानी रुकने से ग्रामीणों की बढ़ी बैचेनी; बेहाल होकर प्रशासन पर फूटा गुस्सा
नदी पर बना मकान
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Bharatpur News: भरतपुर जिले के भुसावर से होकर बहने वाली बाणगंगा नदी पिछले 25-30 सालों से सूखी पड़ी है. नदी के सूखने का मुख्य कारण अतिक्रमण है, जिससे पानी का प्रवाह अवरुद्ध हो गया है. लोगों ने नदी में खेत और घर बना लिए हैं, जबकि पुल और एनीकट क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इससे नदी का प्रवाह पूरी तरह से बाधित हो गया है.

नदी में खेत बनाकर खेती कर रहे है लोग

नदी में पानी की कमी के कारण जमीन का जलस्तर नीचे चला गया है और किसानों को सिंचाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालात यह है कि  चौकी में चलने वाला सिंचाई विभाग अब एक झोपड़ीनुमा कमरे में चल रहा है. लोगों नदी में खेत बनाकर कृषि कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा, भू-माफिया नदी से मिट्टी निकालकर बेच रहे हैं, जिससे नदी का अस्तित्व खतरे में है. सरकार और प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.

रामगढ़ से भरतपुर तक है अतिक्रमण  

विष्णु मित्तल ने बताया कि यह नदी जयपुर के बैराठ की पहाड़ियों से रामगढ़, दौसा, भरतपुर होते हुए आगरा तक बहती थी. इसमें आखिरी बार 1996 में पानी था, उसके बाद से इसमें पानी नहीं है. पानी की इस कमी का मुख्य कारण रामगढ़ से भरतपुर तक अतिक्रमण है. लोगों ने नदी की तलहटी पर अतिक्रमण कर खेत और मकान बना लिए हैं. किसानों ने कई बार विरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.उन्होंने बताया कि वसुंधरा सरकार ने नदी के विकास के लिए डीपीआर तैयार की थी. उसके बाद गहलोत सरकार ने इसके विकास के लिए बजट भी आवंटित किया, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया.

 1996 से पानी की कमी का सामना कर रही है नदी

मिला जानकारी के अनुसार इस नदी को बाण गंगा के नाम से जाना जता है  क्योंकि एक समय था जब यह नदी तीर की गति से बहती थी. इस वजह से यहां चारों तरफ हरियाली थी और बड़ी संख्या में किसान यहां ग्रीष्मकालीन फसलें उगाते थे.लेकिन 1996 से पानी की कमी के कारण जलस्तर 600 फीट से नीचे चला गया और किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं.। उस समय कुएं भरे रहते थे और किसान हाथ से सिंचाई करते थे. अब हालात ऐसे हैं कि सिंचाई विभाग का चौकीदार एक झोपड़ीनुमा घर में चल रहा है और यहां भी कर्मचारी नदारद हैं.

प्रशासन से नदी को पुनर्जीवित करने की जा रही है मांग

स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान दे और अतिक्रमण हटाए ताकि लोगों को एक बार फिर नदी के पानी का लाभ मिल सके.
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