भीलवाड़ा जिले में गैंगरेप की शिकार एक नाबालिग के शरीर के अंग कोयले की भट्ठी में मिलने के करीब एक महीने बाद पुलिस ने कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र दायर में कहा है कि भट्ठी में झोंके जाने से पहले लड़की जीवित थी. यही कारण है कि फोरेंसिक जांच के बाद पुलिस ने मुकदमे में आईपीसी की धारा 326 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना ) जोड़ दी है.
मामले में जांच अधिकारी और कोटडी पुलिस उपाधीक्षक श्याम सुंदर बिश्नोई ने बताया कि ‘फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट से पता चला है कि भट्ठी में डालने से पहले लड़की जीवित थी. शायद वह बेहोश थी, लेकिन वह जीवित थी'' बिश्नोई ने बताया कि प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 326 जोड़ी गई है.
अदालत में शनिवार को दायर आरोप पत्र की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि 400 पन्नों की इस चार्जशीट में 11 आरोपियों में से नौ के नाम दर्ज हैं. कथित तौर पर अपराध में शामिल दो नाबालिगों के खिलाफ एक अलग आरोप पत्र दायर किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि तीन अगस्त को भीलवाड़ा के कोटाडी थाना क्षेत्र में (अब नवगठित शाहपुरा जिले का हिस्सा) एक 14 वर्षीय नाबालिग युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके बाद नाबालिक को जिंदा भट्टी में फेंक दिया गया था. जांच के दौरान पीड़ित लड़की के कुछ जले हुए शरीर के हिस्से भट्टी से बरामद किए गए थे और अन्य हिस्से विभिन्न स्थानों पर बिखरे हुए मिले थे.
ये भी पढ़ें-भीलवाड़ा भट्टी कांड में 473 पन्नों की चार्जशीट पेश, गैंगरेप के बाद नाबालिग को कोयले की भट्टी में जलाया था