जिले में पिछले 4 सालों से बंद डेंगू की एलाइजा जांच अब शुरू हो गई है. इससे मरीजों को महंगे दामों पर और कोटा जाकर जांच नहीं करवानी पड़ेगी. अब जिले में ही मरीजों को लाभ मिल जाएगा. बता दें, एनडीटीवी राजस्थान की खबर का बड़ा असर कहा जा सकता है, क्योंकि चैनल ने बढ़ते डेंगू के मामले के बाद जिले में एलाइजा जांच को लेकर आवाज बुलंद की थी.
डेंगू की जांच शुरू होने पर जांच केंद्र के प्रभारी आरएन मीना ने बताया कि पहले डेंगू के कार्ड से ही मरीजों की जांच की जाती थी, जिसमें स्पष्ट जांच नहीं हो पाती थी. अब 3 लाख 30 हजार की लागत वाली एलाइजा जांचमशीन मिल गई है. उन्होंने बताया कि डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त है, जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंटिजन रेपिड टेस्ट को कोई मान्यता नहीं है और निजी लैब संचालक स्पष्ट रिपोर्ट भी नहीं दे सकते.
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जांच करने के बाद सरकारी अस्पताल को देना होगा सैंपल
नियम है कि निजी लैब को डेंगू की जांच करने के बाद एक सैंपल सरकारी अस्पताल को भी देना है, लेकिन ज्यादातर निजी लैब सैंपल नहीं देती हैं. अभी तक एक भी सैंपल नहीं दिया गया है. जबकि सभी निजी लैब में डेंगू की जांच की जा रही है. सरकारी लैब में एलाइजा टेस्ट किया जाता है. इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग डेंगू के मरीज की पुष्टि करता है. इस खबर से पहले, बूंदी जिले में डेंगू की जांच बंद हो गई थी. पिछले एक सप्ताह से जिले के सबसे बड़े अस्पताल में डेंगू के कार्ड खत्म होने से जिले से आने वाले मरीजों को बाहर महंगे दामों में जांच करवानी पड़ रही थी.
मशीनें खराब होने के चलते जांच में असुविधा
इसके अलावा, बूंदी जिला अस्पताल में मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क जांच योजना का लाभ रोगियों को नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सा प्रशासन की अनदेखी के चलते लैब में बायोकेमेस्ट्री सहित कई मशीने खराब हो गई हैं. बायोकेमेस्ट्री, डेंगू मशीन खराब होने के कारण हार्ट प्रोफाईल, किडनी प्रोफाईल, लीवर प्रोफाईल सहित कई तरह की जांचें नहीं हो पा रही हैं. सीबीसी जांच के लिए जो रिजेंट की आवश्यकता होती है वह समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.
निजी लैब में पैसे देकर जांच करवानी पड़ी
रिजेंट उपलब्ध कराने वाली फर्म का भुगतान समय पर नहीं हुआ है. भुगतान नहीं होने से रिजेंट उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. क्योंकि सीबीसी जांच के लिए जो रिजेंट काम में लिया जा रहा है वह आया ही नहीं. जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को आज निःशुल्क जांच योजना की सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा. लगभग 200 मरीजों ने निजी लैब में जाकर अपनी जांच करवाई. उन्हें इस कार्य में मोटी रकम खर्च करनी पड़ी.
निःशुल्क जांच योजना का लाभ भी मरीजों नहीं मिल पा रहा
बूंदी जिले में मुख्यमंत्री द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क जांच योजना का लाभ भी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सा प्रशासन की अनदेखी के चलते लैब में कई मशीनें खराब हो गई हैं और रिजेंट की भी कमी है. इससे मरीजों को निजी लैब में महंगे दामों पर जांच करवानी पड़ रही है.
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