सर्दी का मौसम शुरू होते ही आलस्य और ठंड के कारण जोड़ों में अकड़न होना आम है. ऐसे में योग शरीर को गर्म रखने, ऊर्जा बढ़ाने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में सहायक होता है. इन्हीं में से एक सरल और अत्यंत प्रभावशाली आसन है, पर्वतासन. पर्वतासन का अर्थ है, पर्वत की तरह स्थिर और मजबूत होना. जिस प्रकार पर्वत किसी भी परिस्थिति में अडिग होता है, उसी तरह यह आसन भी शारीरिक स्थिरता, मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास दिलाने में मदद करता है. यह आसन देखने में भले ही सरल लगता है, लेकिन इसके नियमित अभ्यास से शरीर को काफी फायदा मिलता है. दिलचस्प बात है कि इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं.
रक्त का संचार तेज करता है
आयुष मंत्रालय ने इस आसन को अत्यंत असरदार और उपयोगी बताया है. रोजाना पर्वतासन करने से शरीर को कई सारे लाभ मिलते हैं, साथ ही यह रक्त संचार को तेज करता है और कई शारीरिक समस्याओं से निजात दिलाने में भी मदद करता है. इसके नियमित अभ्यास से रक्त संचार बढ़ता है, थकान और पैरों की झनझनाहट दूर होती है, कंधे व कमर मजबूत होते हैं, और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. साथ ही, तनाव कम होता है और श्वसन क्षमता बढ़ती है.
पर्वतासन करने का तरीका
योग विशेषज्ञों ने इसे करने का सही तरीका बताया है. इसको करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन या सुखासन की मुद्रा में आराम से मैट पर बैठ जाएं. दोनों हाथ सिर के ऊपर ले जाकर उंगलियों को आपस में लॉक कर लें.
सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचें, कंधे कान से दूर रखें, पीठ और कमर सीधी रखें. 15 से 20 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें और गहरी सांस लें. इसके बाद धीरे-धीरे हाथ नीचे लाएं और वापस की स्थिति में आएं. इसे 5 से 10 बार दोहराएं.
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