विज्ञापन
Story ProgressBack

डेजर्ट फेस्टिवल की शान बना कैमल पॉलो, 35 साल पहले जैसलमेर में हुई थी इस खेल की शुरुआत 

कैमल पोलो खेलने के साथ-साथ कई खिलाडियों को प्रशिक्षण भी देते है. स्थानीय टीम ने अब तक राजस्थान के कई बड़े कार्यक्रमों और मेलों में इसका प्रदर्शन किया गया है. कोटा,नागौर और पुष्कर में भी केमल पॉलो का मैच खेल चुके है. साल 2023 में पुष्कर मेले से इसे एक नई पहचान भी मिली है.

डेजर्ट फेस्टिवल की शान बना कैमल पॉलो, 35 साल पहले जैसलमेर में हुई थी इस खेल की शुरुआत 
कैमल पोलो खेलते खिलाड़ी

Rajasthan Desert Festival: आपने हॉर्स पॉलो या साईकिल पॉलो तो सुना है, लेकिन क्या आपने ऊंट पोलो सुना है? आप सोच रहे होंगे कि पोलो में ऊंट का क्या काम. लेकिन ऐसा नही है. जैसलमेर से ईजाद हुए कैमल पोलो को आज विश्व स्तर पर एक नई पहचान मिली है और यह ऊंट अब खेल जगह में इतिहास रच रहा है.

ऊंट पोलो खेल को जैसलमेर में आयोजित होने वाले अतंर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मरू महोत्सव की शान भी कहा जाता है. इसके कई विदेशी भी कदरदान है जो इसे देखने के साथ सीखना भी चाहते है.

रेगिस्तान का जहाज ऊंट, जिसे आपने राजस्थान के मरुस्थल ,दिल्ली राजपथ की परेड या फिर राजस्थान के किसी टूरिस्ट पॉइंट और मेलों की शोभायात्रा की शाना बढ़ाते हुए देखा होगा. लेकिन क्या आपने इस पर बैठकर खिलाड़ी को कभी पोलो खेलते देखा है. आइए आपको ले चलते है जैसलमेर. कैमल पॉलो के ईजाद से लेकर दुनियाभर में पहचान मिलने तक करीब 36 साल के सफर की कहानी से रूबरू करवाते है. जिसकी शुरु आत हुई थी पहले मरू महोत्सव 1988 से है.

1988 में पहली बार डेजर्ट फेस्टिवल का आयोजन हुआ

कैमल पोलो की शुरुआत 1987 में जैसलमेर में हुई थी. इस खेल की ईजाद 27 साल के एक युवा जितेंद्र सिंह राठौड़ ने की, जिन्हें आज जैसलमेर सहित राजस्थान भर में लोग जीतू बन्ना के नाम से जानते है. मूलतः राठौड़ नागौर जिले के चिन्दालिया गांव के रहने वाले थे और 1985 में जैसलमेर आकर अपने बहनोई मेघराज सिंह के साथ उन्होंने किराए पर जगह लेकर होटल और रेस्टोरेंट शुरु किया.

ऊंट पोलो खेल को आगे बढ़ाने में बड़ा सहयोग सीमा सुरक्षा बल का भी है, जो जैसलमेर में हर साल होने वाले डेज़र्ट फेस्टिवल में स्थानीय खिलाड़ियों के साथ मैच खेल रहे है.पिछले कुछ वर्षो में इस खेल को विश्व स्तर पर पहचान मिली है.

जर्मनी से स्कोरसीप पर में होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा करने के बाद जॉब मिला तो गांव गए और मां ने कहा जो भी करना है देश में ही रह कर करना है. इस तरह जैसलमेर आए और पर्यटन व्यवसाय में ऊंट सफारी करवाते करवाते ऊंटों से दोस्ती हो गई और कैमल पॉलो का ईजाद कर डाला. 1988 में पहली बार डेजर्ट फेस्टिवल का आयोजन हुआ और वहां यह खेल सबके सामने आया.

कैमल पोलो के ईजादकर्ता जितेन्द्र सिंह राठौड़ उर्फ़ जीतू बन्ना

कैमल पोलो के ईजादकर्ता जितेन्द्र सिंह राठौड़ उर्फ़ जीतू बन्ना

ऊंट पोलो संघ भी बनाया 

जैसलमेर में 1987 से शुरु हुआ कैमल पोलो का सफर आज भी लगातार जारी है. यह चंद खिलाड़ियों से शुरु हुआ खेल अब राज्य और केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त खेल बन चुका है. इस खेल के माध्यम से ऊंटों का संरक्षण भी होने लगा है. इसके फाउंडर जितेंद्र राठौड़ व कुछ खिलाड़ियों ने भारतीय ऊंट पोलो संघ भी बनाया जो कई जगहों पर मैच खेल चुका है.

यह भी पढ़ें- Rajasthan: राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला, नहीं भरना होगा बिजली का बिल, 25 साल तक फ्री में मिलेगी 300 यूनिट बिजली

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
NEET-UG Result 2024: रिवाइज्ड रिजल्ट में राजस्थान का दबदबा, 17-परफेक्ट स्कोरर्स में राजस्थान के चार
डेजर्ट फेस्टिवल की शान बना कैमल पॉलो, 35 साल पहले जैसलमेर में हुई थी इस खेल की शुरुआत 
Village social media influencer Deepa died due to snake bite, the family members did this carelessly before treating her!
Next Article
गांव की सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर दीपा की सांप काटने से मौत, परिजनों ने इलाज से पहले की यह लापरवाही!
Close
;