
Rajasthan Water Crisis: विश्व जल दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है. बढ़ती जनसंख्या से स्वच्छ जल की मांग बढ़ रही है तो विकास के लिए तेजी से बढ़ रही फैक्ट्रियों के कारण जल के स्त्रोत प्रभावित हो रहे हैं. राजस्थान के कई जिलों में लोगों को अक्सर पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर और चूरू समेत कई जिलों में दूध-छाछ आसानी से मिल जाएगा, लेकिन पानी की एक-एक यहां पर बेहद कीमती है. पानी की कीमत को समझते हुए चूरू जिले में एक ग्राम पंचायत के लोगों ने पानी सहजने के कदम उठाए जो कि आज सार्थक होते हुए दिखाई देते हैं.
ग्रामीणों की मेहनत ने दूर की समस्या
चूरू जिले में पीने के पानी के हालातों से सब वाकिफ हैं. पानी के मामले में सरदारशहर क्षेत्र को छोड़कर शेष सभी तहसीलों की स्थिति विकट है. हालांकि, एक गांव सुजानगढ़ तहसील का गोपालपुरा है, जहां पर दस फीट की गहराई पर मीठा पानी आता है. ग्रामीणों की मेहनत और उनकी दूरगामी सोच की बदौलत ही ऐसा हो सका है. वैसे सुजानगढ़ तहसील के गांव गोपालपुरा में यदि और अधिक गहराई पर खुदाई की जाए तो वहां पर पानी खारा है, लेकिन रिचार्ज वाला पानी उपरी सतह पर होने के कारण मीठा है.

पहले व्यर्थ जाता था पहाड़ियों का पानी
सरपंच सविता राठी ने बताया कि द्रोणगिरी की पहाड़ियों से बहकर आने वाला बरसाती पानी व्यर्थ जा रहा था. इससे मिटटी कटती थी और फसलों को भी नुकसान हो रहा था. वर्ष 2005 में गांव के सभी जलस्रोतों को भामाशाहों के सहयोग से साफ करवाया. ग्रामसभा में प्रस्ताव लेकर करीब 2 लाख खर्च कर ग्रामीणों के सहयोग से तालाब की 50 फीट गहरी खुदाई करवाई और चारदीवारी बनवाकर 2 गेट लगवाए. 7 बीघा आयतन वाले जिले के सबसे बड़े इस तालाब के 21 बीघा में फैले कैचमेंट क्षेत्र में आ रही रुकावटों को हटाया.

48 लाख में बनाए 3 एनीकट
बाद में सिंचाई विभाग के सहयोग से करीब 48 लाख की लागत से 3 एनीकट बनाए. तालाब में साफ़ पानी आए, इसके लिए बड़े नाले बनवाए. पानी के रास्तों में पत्थर व ग्रीट बिछवाई जिससे मिट्टी बाहर रहे है. गांव में हैंडपंप लगवाए. जल स्तर बढ़ा तो सब्जियां उगानी शुरू की गांव के श्रीराम शर्मा ने बताया कि गांव का भूजल स्तर काफी बढ़ गया है व पानी भी अब मीठा हो गया है. इससे खारे पानी की समस्या खत्म हो गई है. अब 10 फीट की गहराई पर ही पानी आ जाता है.
डूंगर बालाजी बास के भागू सिंह बताते हैं कि आज से 15 वर्ष पूर्व पीने के पानी की बड़ी विकट समस्या थी. 2 किमी पैदल चल कर महिलाओं को पीने का खारा पानी लाना पड़ता था. पूसाराम प्रजापत बताते हैं कि खुदाई में पानी का स्तर बढ़ जाने के कारण गांव में करीब 30 बाडिय़ां है, जिनमें गांव के लोग हरी सब्जियां उगा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
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