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This Article is From Mar 22, 2025

World Water Day: “घी सस्ता और पानी महंगा” रेगिस्तानी इलाके जैसलमेर में कम होता भूजल स्तर, 8000 ट्यूबवेल बने 

भूजल संरक्षण और जल दोहन को रोकने के लिए जागरूकता आवश्यक है. इण्खिया के अनुसार, जैसलमेर में लोग मीठे पानी की जगह अधिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में जल संरक्षण के लिए पारंपरिक तरीकों को अपनाना आवश्यक हो गया है.

World Water Day: “घी सस्ता और पानी महंगा” रेगिस्तानी इलाके जैसलमेर में कम होता भूजल स्तर, 8000 ट्यूबवेल बने 
प्रतीकात्मक फोटो

Water Crisis In Jaisalmer: आज विश्व भर में जल दिवस मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य पानी के महत्व को समझाना है. इस साल जल दिवस की थीम “ग्लेशियर संरक्षण” है. पानी के महत्व को थार के रेगिस्तान में रहने वाले जैसलमेर के लोग भली-भांति समझते हैं, क्योंकि यहां पेयजल की समस्या लंबे समय से बनी हुई है. इसी संदर्भ में NDTV राजस्थान की टीम ने ग्राउंड वॉटर के गिरते स्तर और उसकी गुणवत्ता में कमी के विषय पर भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इण्खिया से विशेष बातचीत की.

भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इण्खिया का कहना है कि जल दोहन के कारण जैसलमेर में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है. जिले में ट्यूबवेल की संख्या बढ़ने से जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है. लगभग 10 साल पहले यहां भूजल स्तर 45-50 मीटर था, लेकिन अब यह 55-60 मीटर तक पहुंच गया है. हर साल जल स्तर में लगभग 1 मीटर की गिरावट दर्ज की जा रही है. इसके अलावा, पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि टीडीएस स्तर बढ़ने के साथ-साथ फ्लोराइड और नाइट्रेट की मात्रा में भी वृद्धि हो रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है.

फ्लोराइड की मात्रा को लेकर भी स्थिति चिंताजनक

फ्लोराइड की मात्रा को लेकर भी स्थिति चिंताजनक है. नारायण दास इण्खिया बताते हैं कि पहले जैसलमेर जिले के लाठी, राजमथाई और म्याजलार बेल्ट में फ्लोराइड की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर थी, लेकिन अब अधिक जल दोहन के कारण यह 2 से 3 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिकतम सीमा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए, जबकि भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार यह 1 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए. अधिक फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, दांत पीले पड़ सकते हैं और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं

भूजल संरक्षण और जल दोहन को रोकने के लिए जागरूकता आवश्यक है. इण्खिया के अनुसार, जैसलमेर में लोग मीठे पानी की जगह अधिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में जल संरक्षण के लिए पारंपरिक तरीकों को अपनाना आवश्यक हो गया है. किसानों को भूजल दोहन कम करने और वर्षा जल के उपयोग पर ध्यान देना होगा. पहले के समय में जल संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती थी, जिससे जैसलमेर का जल प्रबंधन प्रणाली अत्यंत प्रभावी थी. अब लोगों को फिर से जल संरक्षण के प्रति जागरूक होना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले समय में यह गंभीर संकट बन सकता है.

55 करोड़ लीटर भूजल का दोहन कर रहे हैं

जैसलमेर में लगभग 8,000 ट्यूबवेल संचालित हैं, जिनमें से प्रत्येक ट्यूबवेल से प्रतिघंटा 3,000 गैलन पानी निकाला जाता है. यदि 6 घंटे बिजली आपूर्ति रहती है, तो एक ट्यूबवेल प्रतिदिन 18,000 गैलन पानी निकालता है. इस प्रकार, 8,000 ट्यूबवेल मिलकर हर दिन 14.40 करोड़ गैलन यानी लगभग 55 करोड़ लीटर भूजल का दोहन कर रहे हैं. यह जल दोहन लगातार जारी है, जिससे जल संकट की स्थिति और गंभीर होती जा रही है.

“घी सस्ता और पानी महंगा”

पुराने समय में जैसलमेर के लोग पानी को अत्यंत महत्व देते थे. यहां एक कहावत प्रसिद्ध थी— “घी सस्ता और पानी महंगा.” उस समय पानी का बहुउपयोग किया जाता था, जैसे नहाने के बाद बचे पानी से कपड़े धोना और फिर उस पानी का पौधों को देना, ताकि पानी व्यर्थ न जाए. अब फिर से जल संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है.

जल संकट से निपटने के लिए वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना होगा और बारिश के पानी से सिंचाई कर खेती करने की आदत डालनी होगी. यदि समय रहते जल संरक्षण की दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में जैसलमेर सहित पूरे क्षेत्र को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा.

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