
Jitendra Soni New DM of Jaipur: राजस्थान में गुरुवार को आई 108 आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची में कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने अधिकारी रहते हुए अपने-अपने इलाकों में कई शानदार काम किए. अपने रोजमर्रा के कामों और सरकारी जिम्मेदारियों से इतर इन अधिकारियों ने लीक से हटकर ऐसा कुछ कर दिखाया कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं. ऐसा ही एक नाम है जयपुर के नए कलेक्टर जितेंद्र सोनी का.
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जहां भी जाते हैं, रौशनी बिखेरते हैं. IAS सोनी उन्हीं लोगों में से हैं, जिन्होंने कुछ ख्वाब देखे और उन्हें पूरा करने में जुट गए. जितेंद्र सोनी की पहली पोस्टिंग 2011 में जालोर में हुई. उन्हें SDM के पद पर तैनात किया गया था. यहां उन्होंने समाज के हाशिये पर छूट गए उन समुदायों को शिक्षित करने की ठानी जिनके लिए स्कूल इमारतें कई 'दशकों' के फासले पर थीं.
विद्याप्रवाहिनी
विद्याप्रवाहिनी का मतलब होता है विद्या का प्रवाह करने वाली. सोनी ने 'मोबाइल वैन' को स्कूल की शक्ल दे दी, उसे सजाया अंदर कंप्यूटर रखे, ऑडियो और वीडियो बुक रखीं और जुग्गी झोंपड़ियों में ले गए. जिन लोगों के लिए स्कूल दूर था उनकी दहलीज पर स्कूल ला खड़ा किया. मकसद एक ही था- शिक्षा हर जगह पहुंचे. उनके इस प्रयास को खूब सराहा गया.
चरण पादुका अभियान
कहते हैं इंसान वो बड़ा है जिसके भीतर भावना हो. जो किसी के दुःख को महसूस कर पाए. जितेंद्र सोनी जब जालोर के जिला कलेक्टर थे तब वहां उन्होंने हजारों बच्चों के पैरों में जूते पहनाये. इन बच्चों की संख्या अब करीब 1 लाख 76 हजार तक पहुंच चुकी है.
पोर्टल बेटर इंडिया से बात करते हुए सोनी कहते हैं, 'यह दिसंबर का महीना था, और मैं एक सरकारी स्कूल का दौरा कर रहा था, जहां मैंने कुछ बच्चों के पैरों में फटे जूते देखे. कड़ाके की सर्दी में उनके पैर ठिठर रहे थे. इससे मेरी आंखों में आंसू आ गए, इसलिए मैंने उसी दिन जूते खरीद कर बच्चों को दे दिए' जितेंद्र सोनी के इस अभियान को जमकर सराहा गया. देश भर से लोगों ने इस अभियान में मदद की और बाद में सूबे के मुख्यमंत्री ने इस अभियान को पूरे राजस्थान में चलाने का फैसला किया.
सरकारी कामों को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
जितेंद्र सोनी का बड़ा कारनामा यह भी यह कि उन्होंने सरकारी योजनाओं में तकनीक का बखूबी इस्तेमाल किया. जब उन्हें राजस्थान शहरी आधारभूत संरचना विकास परियोजना का निदेशक बनाया गया तो मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण योजना में हो रहे कामों की रियल टाइम मॉनिटरिंग की तकनीक का विकास किया. व्हाट्सप का इस्तेमाल करते हुए रेयर ब्लड ग्रुप का ब्लड बैंक बनाया. O निगेटिव ब्लड वाले लोगों की पहचान की, उन्हें एक ग्रुप में जोड़ा.
मां से मिली प्रेरणा
यह सब करने का जज़्बा उनके भीतर बचपन से ही आ गया था. बहुत छोटी उम्र में ही उनकी इकलौती बहन की मौत हो गई थी. जिसने उन्हें तोड़ कर दिया. अनपढ़ मां के घर पैदा हुआ जितेंद्र सोनी कहते हैं, 'मुझे अभी भी याद है जब मैं पढ़ने के लिए बैठता था, मेरी मां - रेशमा, जो कभी स्कूल नहीं गई थी, देखती रहती थी कि कहीं मैं किताब को उल्टा पकड़ तो नहीं पकड़ रहा हूं. शिक्षा के द्वार उसके लिए कभी नहीं खुले, लेकिन वह आशावादी थीं कि इससे मेरा जीवन बदल जाएगा, और अंत में ऐसा ही हुआ'. मां की इस प्रेरणा ने उन्हें ना सिर्फ बड़ा अफसर बना दिया बल्कि एक इंसान के तौर पर दूसरों के प्रति विनम्र भी बनाया.
जितेंद्र सोनी ने NDTV से की खास बातचीतNDTV संवाददाता बालवीरेंद्र सिंह शेखावत से खास बातचीत में जयपुर के नए डीएम जितेंद्र सोनी ने बताया कि 'चरण पादुका अभियान' का जिक्र करते हुए कहा, 'उस समय इसकी आवश्यकता थी. मुझे लगा कि स्लम एरिया के बच्चों के लिए कुछ काम किए जाने की जरूरत है. इसीलिए 'चरण पादुका' के नाम से अभियान शुरू किया गया था. मैं उन सभी दानदाताओं और भामाशाहों को धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने इसको सफल बनाया. कम से कम व्यक्तिगत तौर पर, सामाजिक तौर पर, सरकारी व्यवस्था में रहते हुए हम किसी भी स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए ऐसा प्रयास कर पाए. मेरा यह मानना है कि जब भी कोई व्यक्ति हमारे पास आता है तो कोई उम्मीद लेकर आता है. अगर हम उसकी बात सुनकर कोशिश करें तो हमारे किसी प्रयास से उनका काम हो जाता है. उससे व्यवस्था पर न सिर्फ यकीन बढ़ता है, बल्कि साथ ही साथ ऐसी जो समस्या होती हैं, वह भी दूर होती है. उसके परिवार में भी मुस्कान आती है. उसकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है. ऐसी चीजों से परिवर्तन आता है. यह बेटर प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि हम सब का उत्तरदायित्व है. हमारे किसी भी प्रयास से हम इस व्यवस्था के अंदर इस समाज के लिए अगर कुछ भी कर पाएं तो, हमें हमेशा करना चाहिए.'
राइजिंग राजस्थान पर भी बोले जयपुर डीएमइस दौरान उन्होंने साहित्य पढ़ने पर अपनी रुचि और इस साल की आखिर में होने जा रहे राइजिंग राजस्थान समिट पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'साहित्य पढ़ना लिखना मेरा रुचि का विषय है. मेरे प्रशासनिक जीवन से अलग जब मुझे कोई ऐसा क्वालिटी टाइम मिलता है तो मैं अपने प्रशासनिक जीवन से अलग उसमें लिखने का प्रयास करता हूं. राइजिंग राजस्थान जयपुर में होना ळै जो कि राज्य की राजधानी है. निश्चित तौर पर जिम्मेदारी है जो भी दिशा निर्देश हमें मिलेंगे विभाग की तरफ से, सरकार की तरफ से, प्राप्त होंगे उसे पर निश्चित तौर पर काम करेंगे.'
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