
Health News: कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों में धूम्रपान और खराब जीवनशैली बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, सिगरेट के धुएं में मौजूद जहरीले तत्व डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. धूम्रपान छोड़ने के बाद भी यह जोखिम कई सालों तक बना रहता है. वहीं, कम फाइबर, ज्यादा रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड और शराब का सेवन इस बीमारी को और बढ़ावा देता है.
बढ़ते मोटापे और तनाव से जुड़ी बीमारी
युवाओं में इस बीमारी का कारण मोटापा, तनाव और कम व्यायाम है. विशेषज्ञों का कहना है कि अनियमित खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके मुख्य कारक हैं.
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
पेट दर्द, मल में खून आना, मल त्याग की आदतों में बदलाव, कमजोरी, थकान और अचानक वजन घटना इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. यदि ये लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा समय तक बने रहें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
स्क्रीनिंग और इलाज के उपाय
डॉ. जावेद का कहना है कि 50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित स्क्रीनिंग आवश्यक है, क्योंकि इस उम्र में कैंसर का जोखिम बढ़ता है. समय पर पहचान हो तो सर्जरी, कीमोथेरेपी और रोबोटिक तकनीकों से इसका इलाज आसान और प्रभावी हो सकता है.
बचाव के लिए सुझाव
डॉ. गोयल के अनुसार, धूम्रपान छोड़ना और नियमित कोलोनोस्कोपी कराना कोलोरेक्टल कैंसर से बचने के लिए सबसे जरूरी कदम हैं. संतुलित आहार, फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ और नियमित व्यायाम इस बीमारी के खतरे को कम करते हैं.
सही खान-पान से रखें आंतें स्वस्थ
विशेषज्ञों ने पेट की खराबी जैसे कब्ज या बार-बार सूजन को आंतों के लिए हानिकारक बताया. सही खान-पान और पर्याप्त पानी पीने की आदत से आंतों को स्वस्थ रखा जा सकता है. कोलोरेक्टल कैंसर को समय पर पहचानकर और जीवनशैली में सुधार लाकर इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है. जागरूक रहकर स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं.
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