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This Article is From Nov 24, 2024

Rajasthan Politics: उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार पर मंथन शुरू, टिकट वितरण में सांसदों पर निर्भरता रही सबसे बड़ी चूक; निष्क्रिय नेताओं की होगी छुट्टी

Rajasthan Politics: राजस्‍थान उपचुनाव में हार पर पार्टी स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे आलाकमान को भेजा जाएगा.कहा ये भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद इस चुनाव को कांग्रेस ने हल्के तौर पर लिया.  

Rajasthan Politics: उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार पर मंथन शुरू, टिकट वितरण में सांसदों पर निर्भरता रही सबसे बड़ी चूक; निष्क्रिय नेताओं की होगी छुट्टी
ट‍िकट बंटवारे पर जयपुर में कांग्रेस की पहली बैठक हुई थी.

Rajasthan Politics: राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद भारी उथल पुथल मची हुई है. कांग्रेस के भीतर हार के कारणों का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि हार की बड़ी वजह टिकट वितरण में सांसदों पर निर्भरता और गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ा जाना है. हार पर पार्टी स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे आलाकमान को भेजा जाएगा. कहा ये भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद इस चुनाव को कांग्रेस ने हल्के तौर पर लिया.  

"ट‍िकट वितरण पर जयपुर में हुई बैठक खानापूर्त‍ि साब‍ित हुई" 

कांग्रेस के नेताओं का कहना है टिकट वितरण के लिए नामों की चर्चा के लिए हुई पहली बैठक में ही राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है. जो नेता विधायक से सांसद बने हैं, उनकी बड़ी भूमिका रही है.  लिहाज़ा टिकट वितरण सांसदों पर ही छोड़ दिया जाए. यही कारण रहा कि टिकट वितरण को लेकर जयपुर में हुई बैठक केवल खानापूर्ति साबित हुई. 

टिकट वितरण में फीडबैक पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई 

टिकट वितरण से पहले सचिन पायलट की दिल्ली के हरियाणा भवन में हुई बैठक में भी प्रभारी के टिकट वितरण में फीडबैक पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाने की जानकारी सामने आई थी. इसके बाद कांग्रेस ने झुंझुनू में सांसद बने बृजेन्द्र ओला के पुत्र अमित ओला, देवली उनियारा में सांसद बने हरीश मीणा की सिफ़ारिश पर नए नवेले नेता KC मीणा और दौसा में मुरारीलाल मीणा की सिफ़ारिश पर DC बैरवा को टिकट दिया गया. जबकि, ज़ुबैर खान के निधन से खाली हुई सीट रामगढ़ पर सहानुभूति कार्ड के चलते उनके पुत्र आर्यन ख़ान के अलावा किसी भी नाम पर विचार ही नहीं हुआ.  सात सीटों में से कांग्रेस केवल दोसा की सीट पर मामूली अंतर से जीत दर्ज कर पाई है.  

परिवारवाद और स्‍थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी हार का बड़ा कारण  

सांसदों की सिफारिश, परिवारवाद और स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी कांग्रेस को इस बड़ी हार के तौर पर चुकानी पड़ी है. कांग्रेस के थिंक टैंक की निष्क्रियता के चलते कांग्रेस से नाराज नेताओं को मनाने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई. इन चार सीट के अलावा कांग्रेस ने खींवसर सीट पर केवल हनुमान बेनीवाल को हराने के लिए आख़िरी समय भाजपा छुड़वाकर सवाई सिंह की पत्नी डॉ रतन को टिकट दिया गया.  इस सीट पर कांग्रेस का क्या हाल हुआ है सबके सामने है.  कांग्रेस को चौरासी और सलूम्बर सीट से कोई उम्मीद ही नहीं लिहाजा परिणाम पर किसी को कोई हैरानी नहीं है.  

कांग्रेस को निष्‍क्रि‍य नेताओ से पीछा छ़ड़ान होगा 

11 महीने पहले राजस्थान में सत्ता रही कांग्रेस और पांच महीने पहले लोकसभा की आठ सीट जीतने वाली कांग्रेस की इस हार से कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है.  ऐसे में गया है अगले साल निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ करवाने की तैयारी में भाजपा सरकार के सामने बेहतर प्रदर्शन करना है तो राजस्थान कांग्रेस को फुल टाइम प्रभारी की  जरूरत के साथ निष्क्रिय नेताओं से भी पीछा छुड़ाना होगा. 

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