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बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट: आदिवासी बाहुल्य सीट पर कांग्रेस -भाजपा के छक्के छुड़ाएगी BAP!

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक डूंगरपुर की जनसंख्या 13 लाख 88 हजार 552 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 696,532 और 692,020 थीं वहीं बांसवाड़ा की कुल आबादी 17 लाख 97 हजार 485 है. इसमें से पुरुषों की जनसंख्या 907,754 महिलाओं की जनसंख्या 889,731 है . कोटा-बूंदी लोकसभा सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट: आदिवासी बाहुल्य सीट पर कांग्रेस -भाजपा के छक्के छुड़ाएगी BAP!
इस बार डुंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय मुकाबला होगा.

Loksabha Election 2024: राजस्थान के जनजाति बहुल बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. बांसवाड़ा- डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन बांसवाड़ा की पांच विधानसभा क्षेत्र और डूंगरपुर जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर किया गया है. सीट पर हुए कुल 17 लोकसभा चुनाव हुए. कांग्रेस की 12 बार जीत हुई है तो वहीं, बीजेपी को तीन बार और एक बार जनता दल और एक बार भारतीय लोक दल को जीत हासिल हुई है.

साल 1952 में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस के भीखा भाई ने जीत का हासिल की थी, तो साल 1957 में कांग्रेस से भोगजी भाई बाजी मारी. वहीं, साल 1962 में रतन लाल, 1967 में हिरजी भाई 1971 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के ही हीरालाल का कब्जा रहा है. साल 1977 में भारतीय लोक दल के हीरा भाई जीते.

साल 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भीखा भाई ने इस सीट से फिर जीत दर्ज की. साल 1984 के कांग्रेस के प्रभुलाल रावत ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. वहीं 1989 में जनता दल के हीरा भाई ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली. इसके बाद 1991 में कांग्रेस से प्रभुलाल रावत, 1996 में  ताराचंद भगोरा, 1998 में कांग्रेस के महेंद्रजीत सिंह मालवीया कांग्रेस की ओर से यहां के सांसद बने.

साल 1999 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा संसद निर्वाचित हुए, लेकिन साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी धनसिंह रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर यहां कब्जा कर लिया. साल 2009 में  कांग्रेस के प्रत्याशी ताराचंद भगोरा ने दोबारा जीत दर्ज की, लेकिन साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मनशंकर निनामा ने भाजपा के  टिकट पर पार्टी को जीत दिलाई. साल 2019 में भाजपा प्रत्याशी कनकमल कटारा ने  एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी को काबिज कर दिया. 

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में दोनों प्रमुख दलों में एक अनोखी परंपरा बनी हुई है, जिसके चलते कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार यहां से निर्वाचित नहीं हो पाए हैं. परंपरा के अनुसार एक बार बांसवाड़ा जिले के प्रत्याशी को और एक बार डूंगरपुर जिले के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाता है. यह परंपरा 2019 तक तो कायम रही है. 

BAP देगी भाजपा-कांग्रेस को कड़ी टक्कर 

बांसवाड़ा डूंगरपुर संसदीय सीट में 8 विधानसभा सीटों में बांसवाड़ा जिले की बांसवाड़ा, कुशलगढ़, बागीदौरा, गढ़ी ,  घाटोल विधानसभा क्षेत्र और डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा, चौरासी और डूंगरपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं. लोकसभा चुनाव में इस बार भारत आदिवासी पार्टी (BAP) भाजपा और कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे सकती है. इस भारत आदिवासी इलाक़े में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है. पार्टी को विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत मिली थी. 

साल 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान संसदीय क्षेत्र की सभी 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक थे, जिसका फायदा भाजपा प्रत्याशी मनशंकर निनामा को मिला था. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बांसवाड़ा, बागीदौरा, डूंगरपुर, से कांग्रेस और गढ़ी व घाटोल से भाजपा, कुशलगढ़ से निर्दलीय और चौरासी, सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय ट्राइबल पार्टी  के MLA थे. इस बार हुए चुनाव में 5 सीटें कांग्रेस, दो पर भारत आदिवासी पार्टी और एक पर भाजपा के विधायक हैं. 

बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की विधानसभा सीटों को मिलाकर बना यह लोकसभा क्षेत्र एक जमाने में कपड़ा उद्योग का बड़ा केंद्र था, लेकिन गत कई सालों से कोई नया कपड़ा उद्योग नहीं पनपा हैं.

कपड़ा उद्योग का बड़ा केंद्र था यह लोकसभा क्षेत्र

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक डूंगरपुर की जनसंख्या 13 लाख 88 हजार 552 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 696,532 और 692,020 थीं वहीं बांसवाड़ा की कुल आबादी 17 लाख 97 हजार 485 है. इसमें से पुरुषों की जनसंख्या 907,754 महिलाओं की जनसंख्या 889,731 है . कोटा-बूंदी लोकसभा सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 

अनोखी परंपरा के कारण दूसरी बार नहीं मिलती जीत

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में दोनों प्रमुख दलों में एक अनोखी परंपरा बनी हुई है, जिसके चलते कोई भी प्रत्याशी लगातार दो बार यहां से निर्वाचित नहीं हो पाए हैं. परंपरा के अनुसार एक बार बांसवाड़ा जिले के प्रत्याशी को और एक बार डूंगरपुर जिले के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाता है. यह परंपरा 2019 तक तो कायम रही है. 

बांसवाड़ा (एसटी) संसद सीट पर एससी मतदाता लगभग 82,397 हैं जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 4.2% हैं. वहीं एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग 1,479,227 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 75.4% है. सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 308,747 हैं जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 15.7% है.

यह भी पढ़ें- जाट आरक्षण आंदोलन: महापड़ाव को लेकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कही ये बड़ी बात

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