
Controversy on Loan recovery in Pali: पाली में लोन वसूली का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जिले की खिमेल सहकारी समिति ने बकाया वसूली के लिए उन लोगों को नोटिस बांट दिए, जिन्होंने कभी लोन लिया ही नहीं था. नोटिस के बाद अब विवाद खड़ा हो गया है. किसानों का सवाल है कि उन्होंने कभी सहकारी समिति से लोन नहीं लिया, तो फिर उन्हें नोटिस क्यों दिए जा रहे हैं परेशान किसानों ने समिति के व्यवस्थापक को ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों को 20 साल पहले दिए लोन की रिकवरी के नोटिस थमाए गए हैं. समिति का कहना है कि पहले लोन रिकवरी के नोटिस जारी क्यों नहीं हुए, इसकी जानकारी नहीं है. समिति के मुताबिक, 40 लोगों को लोन रिकवरी के नोटिस दिए गए हैं और उन्होंने अलग-अलग समय लोन लिया था. इन सभी का लोन 31 मार्च 2004 को अवधिपार हो गया था. अब 4 दिन के भीतर दो बार नोटिस जारी कर समिति ने लोन चुकाने के लिए कहा है. लोन नहीं चुकाने पर जेल भेजने की चेतावनी भी दी जा रही है. इन सबके बीच ग्रामीण समिति के लोन लेने के दावों को गलत बता रहे हैं.
"मेरे पास तो जमीन ही नहीं तो लोन का मामला कैसै बना?"
खिमेल निवासी बगदाराम नथाराम हीरागर ने बताया कि मेरे दादा-पिता और मेरे पास कोई जमीन नहीं है. उसके बाद भी मुझे ग्राम सेवा सहकारी समिति ने 32 साल पुराना लोन बताकर नोटिस थमाया है. अब मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि मेरे पास जब जमीन ही नहीं है तो मुझे लोन किस प्रकार दिया गया. जब मैं ऑफिस गया तो उन्होंने कहा कि आपको पैसा तो भरना ही पड़ेगा, जबकि मैंने कभी भी लोन लिया ही नहीं.

आरोप- अधिकारियों ने मिलीभगत से लिया लोन
वहीं, चुन्नीलाल बाबूलाल सरगरा का कहना है कि उन्हें 25 साल पुराना लोन बताकर समिति ने नोटिस दिया है. जबकि मैंने मेरे जीवन में मैंने कभी भी इस बैंक से लोन लिया ही नहीं है. उन्होंने आरोप लगाए हैं कि अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से हमारे नाम से लोन उठाए गए है. हम मांग करते हैं कि इसकी उच्च स्तरीय जांच हो और जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. यदि हमने लोन लिया है तो हमारे खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो.
सह व्यवस्थापक बोले- मुझे नोटिस देने के लिए मिले थे निर्देश
मामले में सह व्यवस्थापक राजू पुरी ने बताया, "मुझे उच्च अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया गया था कि जिन-जिन के लोन बकाया है, उन सभी को नोटिस दो. 20 से 28 वर्ष पुराने लोन बकाया को लेकर मैंने ग्रामवासियों को नोटिस दिया तो लोगों ने मेरे सामने ही विरोध जताया था. सभी ग्रामवासियों ने मुझे लिखित ज्ञापन दिया है. इसके बारे में उच्च अधिकारियों को भी बता दिया गया है."
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