
Rajasthan News: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्ति पीठ के नाम से जाने जानी वाली कैलादेवी चैत्र लक्खी मेला हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यह मेला स्पेशल तौर पर श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है. जहां अलग-अलग राज्यों से दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में पहुंचते है. इस मेले की खास बात यह है कि यहां पर बिकने वाली महिलाओं की सुहाग की चूड़ी और सिंदूर का प्रतीक है. मंदिर में विशेष तौर पर चूड़ियां पर सिंदूर की खरीदारी अधिक होती है यह धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुई है.
इस बार चूड़ी और ज्यादा बिकने की उम्मीद
चैत्र नवरात्रि लक्खी मेले में पिछली बार 1 करोड़ के करीब महिलाओं ने अपने सुहाग के लिए चूड़ियों की खरीद की गई थी. लेकिन इस बार मेले में श्रद्धा के सैलाब को देखते हुए कांच की चूड़ी डेढ़ करोड़ तक बिकने की उम्मीद है. यह चूड़ियां केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति का अहम हिस्सा माना जाता है. प्रदेश के केवल इस चैत्र लक्खी मेले में चूड़ियों की खरीद पर अत्यधिक तौर पर ध्यान दिया जाता है. माना जाता है कि इन चूड़ियों के माध्यम से मां का आशीर्वाद सुहागिन महिलाओं पर बना रहता है.
करीब 10 हजार किलो सिंदूर बिकने की उम्मीद
इस मेले में इस बार 10 हजार किलो सिंदूर बिकने की उम्मीद लग रही है, क्योंकि पिछली वर्ष इतनी खपत नहीं थी. लेकिन श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में पहुंच रहे है. दुकानदारों का कहना है कि पहले स्थानीय लोग सिंदूर बनाते थे. लेकिन सिंदूर की वैरायटी तो बदली है रेडिमेड सिंदूर आने लगा है, फिर भी 95 फीसदी बिक्री लाल सिंदूर की है. खासतौर पर महिलाएं अपने मंगलसूत्र और शृंगार में इस्तेमाल करती है. मंदिर में आने वाले भक्त सिंदूर चढ़ाने की परम्परा भी निभाते हैं. यह धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है.
व्यापारियों को होता है अधिक व्यापार
दुकानदारों का कहना है कि मेले के दौरान कई राज्यों से माता के दर्शन करने के लिए भक्त पहुंचते है जिससे हमारी दुकानों से चूड़ी, सिंदूर खरीदते हैं, जिससे हमारा घर खर्च अच्छे से चल जाता है. आपको बता दें कि चूड़ियां और सिंदूर का व्यवसाय व्यापारिक दृष्टिकोण से व्यापारियों के काफी लाभदायक होता है.
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