Rajasthan News: आज के दौर में कहा जाता है कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती है. बेटियों को अगर जिम्मेदारी दी जाए तो वह भी उसे निभाती है. फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र की जिम्मेदारी क्यों ना हो. बेटियां आज अपने माता-पिता की ताकत बनी हुई है और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है. इसका एक बड़ा उदाहरण राजस्थान की इन बेटियों ने अपने पिता के अर्थी को कंधा देकर साबित कर दिया है. कुछ लोग आज भी लड़कियों को लेकर एक पुरानी मानसिकता रखते है जो उनके ताकत को सीमित करती है. डीडवाना की इन लड़की के साहसिक काम से पूरे इलाके में एक सकारात्मक संदेश गया है.
बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि
यह खबर डीडवाना जिले के मकराना से सामने आई है. जहां जब क्षेत्र के छीतरमल मेघवाल का निधन होने पर उनकी 5 बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि देकर अंतिम रस्में पूरी की. बेटियों ने वह सारी औपचारिकताएं पूरी की, जो सनातन धर्म अनुसार पिता के निधन पर बेटे करते हैं. आपको बता दें कि छीतरमल मेघवाल की 5 बेटियां हैं. कल छीतरमल मेघवाल का निधन हो गया, तब उनकी बेटियों धनपति, नीतू, खुशबू, निशा और हिना ने ही बेटे होने का फर्ज निभाया और पिता की अर्थी को कंधा देकर रिश्तेदारों सहित मोक्ष धाम पहुंचे. जब मुखाग्नि देने का समय आया, तब भी बेटियों ने हिम्मत नहीं हारी और छीतरमल की बड़ी बेटी धनपति ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी.
परिजनों ने दिया बेटियों को हौसला
छीतरमल मेघवाल के भाई चुन्नी, रामनिवास दुभरिया सहित गोरधनराम, उमाराम तालेपा, कैलाशचंद, श्रवण कुमार और जोधपुर से आए प्रशासनिक अधिकारी चेनाराम अड्डानिया ने छीतरमल मेघवाल की बेटियों को हौसला दिया और बताया कि आज के समाज मे लड़के और लड़की में कोई फर्क नहीं है. बेटियों ने आगे आकर अपने पिता की अंतिम यात्रा की रस्मों को पूरा किया. बेटियों के इस काम की लोगों ने खूब सराहना की और समाज को एक बेहतरीन उदाहरण मिला.
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