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Rajasthan Politics: राजस्थान से फिर उठी भील प्रदेश बनाने की मांग, राजकुमार रोत बोले- 'इस बार संसद में...'

1913 से भील समुदाय अनुसूचित जनजाति विशेषाधिकारों के साथ एक अलग राज्य या प्रदेश की मांग कर रहा है. यह मांग मानगढ़ नरसंहार की दुखद घटना के बाद भील समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता गोविंद गुरु ने उठाई थी.

Rajasthan Politics: राजस्थान से फिर उठी भील प्रदेश बनाने की मांग, राजकुमार रोत बोले- 'इस बार संसद में...'
बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत.

Rajasthan News: राजस्थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र (Banswara Lok Sabha Constituency) से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) को जीत हासिल करने के बाद एक बार फिर से 108 साल पुरानी भील प्रदेश (Bhil Pradesh) की मांग जोर पकड़ती जा रही है. चुनाव प्रचार के दौरान BAP ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. वहीं अब चुनाव जीतने के बाद नव निर्वाचित सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) ने इसे मुख्य मांग बताते हुए संसद में उठाने की बात कही है.

सबसे पहले 1913 में उठी थी यह मांग

अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग का इतिहास 108 साल पुराना है, जिसकी शुरुआत राजस्थान से हुई और धीरे-धीरे यह मध्य प्रदेश, गुजरात, और महाराष्ट्र तक पहुंच गई है. भारत आदिवासी पार्टी द्वारा भील प्रदेश के लिए उनकी मांग में गुजरात के पूर्वोत्तर, दक्षिणी राजस्थान और मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्से के जिलों को शामिल करना शामिल है, जिसमें लगभग 20 पूरे जिले और 19 अन्य के हिस्से शामिल हैं. 1913 से भील समुदाय अनुसूचित जनजाति विशेषाधिकारों के साथ एक अलग राज्य या प्रदेश की मांग कर रहा है. यह मांग मानगढ़ नरसंहार की दुखद घटना के बाद भील समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता गोविंद गुरु ने उठाई थी.

4 राज्यों के 43 जिलों अलग करने वाली मांग

दरअसल, 17 नवंबर 1913 को राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित पहाड़ियों में मानगढ़ नरसंहार हुआ था. ब्रिटिश सेना ने सैकड़ों भीलों को बेरहमी से मार डाला, जो एक स्वदेशी समुदाय है. इस क्रूर घटना को कभी-कभी 1919 में हुए कुख्यात जलियांवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में "आदिवासी जलियांवाला" के रूप में संदर्भित किया जाता है. यह प्रस्तावित राज्य चार राज्यों, अर्थात गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से 43 जिलों को अलग करके बनाया जाएगा. भील प्रदेश में शामिल किए जाने वाले कुछ जिले दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा,  सलूंबर, सिरोही, पाली और प्रतापगढ़ हैं. मध्य प्रदेश में रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, धार और पेटलावद; गुजरात में पंच महाल,  गोधरा, दाहोद, झालोद, और डांग; और महाराष्ट्र में नासिक और धुले क्षेत्र को शामिल किए जाने की मांग की जा रही है.

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