
RPSC reorganization Demand in Rajasthan: बीतें कुछ वर्षों से राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की भर्ती परीक्षा सवालों के घेरे में हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल लगातार आरपीएससी पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि एसआई भर्ती रद्द और आरपीएससी पुनर्गठन नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा. हालांकि यह मांग पहली बार नहीं है. इससे पहले सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी भर्ती परीक्षाओं के मुद्दे पर आंदोलन कर चुके हैं. जबकि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में सचिन पायलट सड़कों पर उतरे थे. उन्होंने आरपीएससी पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा था कि सरकार को इसमें पारदर्शिता लाने के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी. साल 2018-23 के दौरान विपक्ष में रही बीजेपी ने ना सिर्फ इसे मुद्दा बनाया, बल्कि 2023 में वरिष्ठ शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आयोग को भंग करने की मांग की थी.
संवैधानिक अड़चन भी कम नहीं!
भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने चुनाव से पहले वादा किया कि सरकार बनने के बाद आरपीएससी को भंग किया जाएगा. लेकिन कहा गया कि संवैधानिक अड़चनों के चलते आरपीएससी को भंग करना संभव नहीं है. अब सवाल यह है कि अगर आयोग का पुनर्गठन हुआ तो वह किस शक्ल में होगा? यूपीएससी मॉडल या हरियाणा की तर्ज पर आयोग के पुर्नगठन की भी बात कही गई, आखिर इसके मायने क्या है?
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सरकार को भेजी थी रिपोर्ट
कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की संभावना जताई गई कि आरपीएससी की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए हरियाणा लोकसेवा आयोग की तर्ज पर सुधार की कोशिश करने का मूड बना रही है. साल 2008 में हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने हरियाणा लोकसेवा आयोग के सदस्यों की संख्या 8 से बढ़ाकर 12 कर दी थी. हालांकि वर्ष 2012 में सदस्यों की संख्या घटाकर 6 कर दी गई थी और इसके तीन साल बाद फिर से सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 8 कर दी गई. इस संबंध में राजस्थान में गठित कमेटी ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में हरियाणा सरकार की ओर से किए गए सुधार का अध्ययन भी किया था. यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गई थी.
यूपीएससी मॉडल क्या है?
- आरपीएससी और यूपीएससी में बुनियादी अंतर है- स्वायत्तता. राज्य सरकार के अधीनस्थ आयोग की स्वायत्तता सीमित है. जबकि यूपीएससी केंद्र सरकार के तहत स्वायत्त और अधिक शक्तिशाली है. यही वजह है कि यूपीएससी में उच्च स्तर की सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ ही पेपर लीक की घटनाएं बेहद दुर्लभ ही होती है.
- ना सिर्फ पुनर्गठन, बल्कि वर्तमान ढांचे में आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल है. परीक्षा कैलेंडर के निर्धारण जैसे मुद्दे अक्सर ही गरमाए रहते हैं. कभी परीक्षा की तारीखों का टकराना तो कभी पेपर लीक जैसे विवाद आयोग को परेशान करता है. भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतों पर कार्रवाई भी बेहद धीमी है.
- सदस्यों की नियुक्ति भले ही राज्यपाल द्वारा हो, लेकिन राजनीतिक प्रभाव की आशंका पूरी रहती है. दूसरी ओर, यूपीएससी में नियुक्ति प्रक्रिया तेज और सुव्यवस्थित है, एक ऐसी संस्था- जिसकी जवाबदेही के साथ ही मापदंड भी कड़े हैं.
प्रदेशभर से उठती रही है मांग
जयपुर के शहीद स्मारक से लेकर राजस्थान भर में इस मुद्दे पर प्रदर्शन हो चुका है. हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में एसआई भर्ती रद्द करने की मांग के साथ आरपीएससी की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए. चाहे कांग्रेस सरकार रही हो या बीजेपी, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर समेत कई शहरों में युवाओं ने "आरपीएससी बचाओ, भ्रष्टाचार हटाओ" के नारे लगाए हैं. बीते कुछ महीनों में कई धरने हो चुके हैं.
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