
Rajasthan: धौलपुर में रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाने वाला भुजरिया पर्व जिले भर में रविवार को महिला एवं युवतियों ने धूमधाम से मनाया. नदिया, जलाशय एवं तालाबों पर भुजरियाओं का विसर्जन मांगलिक गीत गाकर किया. इस दौरान महिलाओं ने अच्छी बारिश, उन्नत फसल एवं हरियाली और परिवार में सुख समृद्धि की कामना की.
जानिए क्या होता है भुजरियां ?
भुजरिया पर्व रक्षाबंधन के त्यौहार के दूसरे दिन मनाया जाता है. भुजरियां पर्व में भुजरिया का महत्व होता है यह गेहूं के पौधें होते है जिसे जल में प्रवाहित करते है. सावन के महीने की अष्टमी और नवमीं को छोटी- छोटी बांस की टोकरियों में मिट्टी की तह बिछाकर गेहूं या जौ के दाने बोए जाते हैं. इसके बाद इन्हें रोजाना पानी दिया जाता है. सावन के महीने में इन भुजरियों को झूला देने का रिवाज भी है. इस भुजरिया को उगने में एक सप्ताह लग जाता है.
जल स्त्रोतों में विसर्जन किया जाता है
रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरियां पर्व बनाकर इसे जल स्त्रोतों में प्रवाहित कर देते हैं. भुजरियां पर्व के दिन गेहूं के हरे इन पौधों यानि भुजरिया की प्रवाहित करने से पहले पूजा की जाती है इसके चारों घूमकर लोकगीत गाए जाते है.इस दौरान कामना की जाती है, कि इस साल बारिश बेहतर हो जिससे अच्छी फसल मिल सकें.
श्रावण मास की पूर्णिमा तक ये भुजरियां चार से छह इंच की हो जाती हैं. महिलाएं इन टोकरियों को सिर पर रखकर जल स्त्रोतों में विसर्जन के लिए ले जाती हैं. जल से प्रवाहित करने के दौरान कुछ भुजरिया को साथ लाकर एक-दूसरे को देकर शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद देते हैं. यह पर्व नई फसल का प्रतीक माना जाता है.
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